झारखंड में मॉनसून एक बार फिर कमजोर स्थिति में दिखाई दे रहा है इसके कारण खरीफ फसलों की बुवाई पर इसका खासा असर पड़ा है. इसका सीधा असर किसानों की पड़ा है. किसान धान की खेती नहीं कर पा रहे हैं. झारखंड में आमतौर पर जून के दूसरे सप्ताह में म़ॉनसून प्रवेश कर जाता है इसके साथ ही किसान धान की रोराई शुरु कर देते हैं. आखिर जुलाई तक किसान धान की रोपाई कर देते थे, पर इस बार हालात यह है कि कई किसानों का बिचड़ा भी तैयार नहीं हुआ है. इसके काऱण धान समेत अन्य खरीफ फसलों के आच्छादन में कमी आई है.
झारखंड राज्य कृषि निदेशक की तरफ से जारी किए गए आंकड़े बेहद चौकाने वाले हैं, क्योंकि इस बार धान अच्छादन की स्थिति पिछले बार से भी खराब है. पिछले साल धान की पैदावार में कमी आने के कारण धान की खरीदारी का लक्ष्य सरकार ने घटा दिया था. इस बार भी कुछ ऐसे ही हालात दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में किसानों की आय पर इसका असर पड़ेगा क्योंकि सही समय पर बुवाई या रोपाई नहीं कर पाने से धान के उत्पादन पर इसका सीधा असर पड़ता है. इस बार एक जून से लेकर 19 जुलाई तक हुई बारिश की बात करें तो मात्र 214.8 एमएम बारिश दर्ज की गई है जबकि इस अवधि में सामान्य वर्षा 380.6 एमएम होनी चाहिए थे. इस तरह से 44 फीसदी कम बारिश हुई है. वहीं आईएमडी का अनुमान है कि 30 जुलाई तक राज्य में मॉनसून कमजोर स्थिति में रहेगा.
कम बारिश का सबसे अधिक असर धान की बुवाई पर पड़ा है. बारिश नहीं होने के कारण राज्य के किसान अभी भी धान की रोपाई के लक्ष्य से काफी पीछे हैं. राज्य में 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती करने का लक्ष्य रखा गया पर अभी तक मात्र 0.94 लाख हेक्टेयर (5.24 फीसदी) में धान की बुवाई हुई है. जबकि पिछले साल इस अवधि तक 1.68 लाख हेक्टेयर (9.34 प्रतिशत) धान की बुवाई हुई थी. मक्का की बात करें तो इस साल 3.12 लाख हेक्टेयर में मकई की खेती का लक्ष्य रखा गया है. पर अभी तक 0.97 लाख हेक्टेयर (31.06 प्रतिशत) में मकई की बुवाई हुई है. पर पिछले साल इस अवधि तक 1.44 लाख हेक्टेयर (46.21 प्रतिशत) क्षेत्र में मक्का की बुवाई हुई थी.
वहीं दलहनी और मोटे अनाज की बात करें तो इस साल इनके आच्छादन में भी राज्य के किसान पीछे ह . क्योंकि इस साल धान की बुवाई का लक्ष्य 6.12 लाख हेक्टेयर रखा गया था. पर अभी तक 0.87 लाख हेक्टेयर (14.28 फीसदी) में दलहनी फसलों की खेती हुई है, जबकि पिछले वर्ष इस अवधि तक 1.47 लाख हेक्टेयर (24.14 प्रतिशत) क्षेत्र में दलहनी फसलों की बुवाई हुई है, इसी तरह मोटे अनाज का आच्छादन इस साल 0.42 लाख हेक्टेयर लक्ष्य के मुकाबले में 0.77 लाख हेक्टेयर (18.35 प्रतिशत) में हुई है जबकि पिछले साल इस अवधि तक 0.49 लाख हेक्टेयर (11.83 प्रतिशत) क्षेत्र में मोटे अनाज की बुवाई हुई थी.
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