झारखंड में बार फिर अब तक बारिश ने किसानों ने किया है. लगाता दो बार सूख से परेशान किसान इस बार भारतीय मौसम विभाग के बारिश पूर्वानुमान को लेकर काफी खुश थे. पर इस बार भी अब तक हुई बारिश के कारण किसानों के हाथ निराशा ही लगी है. कई जिलों में किसान अब तक धान की खेती शुरू नहीं कर पाए हैं. जिन जिलों में किसानों ने बारिश की उम्मीद में नर्सरी तैयार की थी पर पानी की कमी के कारण वो भी पीले पड़ने लगे हैं. जबकि कुछ किसानों का पौधा रोपाई के लिए तैयार हो गया है पर वो पानी की कमी के कारण खेत तैयार नहीं कर पा रहे हैं और धान की रोपाई नहीं कर पा रहे है.
झारखंड में हो रही कम बारिश का सीधा असर यहां पर होने वाले खरीफ फसलों की खेती पर पड़ रहा है. मक्का, दलहन और तिलहनी फसलों की खेती तो चल रही है. लेकिन धान की खेती पर इसक असर पड़ा है. 20 जुलाई तक के आंकड़ों के अनुसार राज्य में धान की खेती को लेकर निर्धारित लक्ष्य की तुलना में मात्र 11 फीसदी क्षेत्रफल में ही धान की खेती हो पाई है. झारखंड में 18 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है. सबसे खराब स्थिति लोहरदगा जिले की है. हालांकि बारिश कम होने की स्थिति में मक्के की बुवाई में तेजी जरूर आई है. वहीं मोटे अनाज की खेती का रकबा भी अभी नहीं बढ़ रहा है.
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झारखंड की राजधानी रांची के मांडर प्रखंड अंतर्गत गुड़गुड़जाड़ी गांव के किसान गंदूरा उरांव ने बताया कि धान की रोपाई का समय बीत रहा है इसलिए वो खेत में सिंचाई करके खेत को तैयार कर रहे हैं और धान की रोपाई कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनके गांव में जिनके पास सिंचाई की सुविधा है वो किसान सिंचाई करके रोपाई कर रहे हैं. पर जिनके पास नहीं है वो बारिश का इंतजार कर रहे हैं. पर सिंचाई के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है. क्योंकि तालाब और कुएं सूख चुके हैं. हालांकि रुक-रुक कर होने वाली बारिश का फायदा ऊपरी जमीन में होने वाली खेती को मिल रहा है. मक्के और सब्जियों की खेती में तेजी आ रही है.
गंदूरा उंराव ने कहा कि अगर और 10 दिन बारिश नहीं होती है तो इस बार फिर धान की खेती पर असर पड़ेगा और किसानों को नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि किसान 20 से 25 जुलाई तक धान की रोपाई करने के हिसाब से नर्सरी तैयार करते हैं. इसके बाद पौधे रोपाई के लायक नहीं रहते हैं. अगर किसान अगस्त के महीने में रोपाई करते हैं तो इसका सीधा असर धान की पैदावार पर पड़ेगा क्योंकि किसान कम अवधि वाली किस्मों का चयन नहीं कर पाते हैं. गंदूरा ने कहा कि अब जिस तरह से बारिश हो रही है इसे लेकर विभाग को तैयार होना होगा और किसानों को भी जागरूक करना पड़ेगा और उन्हें कम अवधि वाले किस्मों की जानकारी देनी होगी.
मौसम विज्ञान केंद्र की तरफ से राज्य में बारिश को लेकर जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार झारखंड में अब तक सामान्य से 51 फीसदी कम बारिश हुई है इस अवधि के दौरान झारखंड में 391.8 एमएम सामान्य बारिश होती है, पर इस बार अभी तक मात्र 192.3 एमएम बारिश दर्ज की गई है. गोड्डा को छोड़कर राज्य के सभी जिलों में बारिश सामान्य से 50 फीसदी कम है. चतरा, पाकुड़, पश्चिमी सिंहभूम और लोहरदगा की स्थिति सबसे गंभीर है. यहां पर बारिश की कमी सामान्य से 70 फीसदी कम बारिश हुई है. मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों तक हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश की संभावना जताई है.
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इधर झारखंड में औसत से हुई बारिश की समस्या से निपटने को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक भी की. बैठक में मुख्यमंत्री ने मानसून के खराब प्रदर्शन और कृषि पर इसके प्रभाव पर चर्चा की.वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव और कृषि मंत्री दीपिका पांडे सिंह वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस महत्वपूर्ण सत्र में शामिल हुए.सोरेन ने झारखंड के अधिकांश जिलों में कम वर्षा होने पर चिंता व्यक्त की.मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा, "यदि यह प्रवृत्ति जारी रही तो हमें अपने किसानों को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए तैयार रहना होगा.अधिकारियों को सभी जिलों में उच्च अलर्ट पर रहने तथा वर्षा पैटर्न और फसल बुवाई की प्रगति पर बारीकी से नजर रखने के निर्देश दिए गए. उन्होंने ने कम वर्षा के कारण कृषि पर पड़ने वाले प्रभावों का विवरण देने वाली एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया.
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