झारखंड के लोहरदगा जिले में किसानों को सता रहा सूखे का डर, 15 जुलाई तक शुरू नहीं हुई धान की रोपाई

झारखंड के लोहरदगा जिले में किसानों को सता रहा सूखे का डर, 15 जुलाई तक शुरू नहीं हुई धान की रोपाई

बारिश को लेकर इस बार सबसे खराब स्थिति लोहरदगा जिले की है. यहां पर सामान्य से 69 फीसदी कम बारिश हुई है. इसका सीधा असर जिले में खरीफ फसलों की खेती पर पड़ रहा है.15 जुलाई की तारीख आ चुकी है पर अब तक जिले में कुछ फीसदी क्षेत्र में ही धान की रोपाई हो पाई है.

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झारखंड के लोहरदगा जिले में किसानों को सता रहा सूखे का डर, 15 जुलाई तक शुरू नहीं हुई धान की रोपाईधान की खेती (फाइल फोटो)

देश के कई राज्यों में इस बार अच्छी बारिश हो रही है. बेहतर मॉनसून की शुरुआत के साथ ही किसान खरीफ फसलों की तैयारी में जुट गए हैं. पर पिछले लागातार दो सालों से सूखा झेलने के बाद झारखंड के किसान इस बार भी मायूस और चिंतित हैं क्योंकि झारखंड में इस बार भी मौसम ने दगा दिया है. राज्य में सामान्य तौर पर 15 जुलाई तक जितनी बारिश होनी चाहिए वो नहीं हो पाई है. रांची स्थित मौसम विज्ञान केंद्र की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 15 जुलाई तक राज्य में सामान्य से 49 फीसदी कम बारिश हुई है. सामान्य तौर पर राज्य में अब 316.7 एमएम बारिश होती है, लेकिन इस बार 161.9 एमएम बारिश हुई है. 

बारिश को लेकर इस बार सबसे खराब स्थिति लोहरदगा जिले की है. यहां पर अब तर मात्र 99.2 फीसदी ही बारिश हुई है. यहां पर सामान्य से 69 फीसदी कम बारिश हुई है. इसका सीधा असर जिले में खरीफ फसलों की खेती पर पड़ रहा है. 15 जुलाई की तारीख आ चुकी है पर अब तक जिले में कुछ फीसदी क्षेत्र में ही धान की रोपाई हो पाई है. अब तक जिले में अच्छी बारिश नहीं हो पाई है, इसलिए किसानों कि चिंता एक बार फिर बढ़ने लगी है. लगातार दो बार के सूखे के डरे किसान इस बार भी धान की रोपाई के लिए नर्सरी तो तैयार कर रहे हैं, लेकिन बारिश नहीं होने के कारण पौधा सही तरीके से तैयार नहीं हो रहा है. 

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अब तक मात्र 0.38 फीसदी हुई है धान की रोपाई

लोहरदगा जिले में 47,000 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की जाती है. अब तक मात्र 183 हेक्टेयर में धान की रोपाई हो पाई है जो 0.38 प्रतिशत है. वहीं 7120 हेक्टेयर में मक्के की खेती की जाती है जबकि अब तक 1463 हेक्टेयर में मक्के की खेती हो पाई है जो 20.54 फीसदी है. जिले में 1835 हेक्टेयर में मोटे अनाज की खेती की जाती है पर अब तक इसकी शुरुआत भी नहीं हुई है जबिक 4040 हेक्टेयर में तिलहन की खेती की जाती है. अभी तक 191 हेक्टेयर में ही इसकी खेती हो पाई है. जिले में 20,400 हेक्टेयर में दलहनी फसलों की खेती की जाती है पर अभी तक मात्र 1190 हेक्टेयर में ही दलहनी फसलों की खेती की गई है. 

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चिंता नहीं करें किसान

जिले के अरकोसा पंचायत अंतर्गत भक्सो गांव के किसान बिजय मुंजनी ने कहा कि उनके क्षेत्र में अधिकांश किसान मक्के और मूंगफली की खेती करते हैं. आगे उन्होंने बताया कि छिटपुट बारिश को देखते हुए किसानों ने धान की नर्सरी तो लगा दी है पर अब बारिश नहीं होने के कारण उनकी चिंताएं बढ़ गई हैं. किसानों को इस बात का डर सता रहा है कि अगर इस बार भी बारिश नहीं हुई तो उन्हें फिर से नुकसान हो सकता है. वहीं जिले के कृषि पदाधिकारी शिवपूजन राम ने कहा कि किसानों को फिलहाल चिंता करने की जरूरत नहीं है. जिन किसानों ने धान की नर्सरी लगाई है, वे धान के पौधों का अच्छे से खयाल रखें. अब जुलाई में धान की रोपाई के लिए पर्याप्त समय है और आने वाले दिनों में अच्छी बारिश की उम्मीद है. 

 

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