झारखंड में पहली बार किसान संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. आईसीएआर पूर्वी प्रक्षेत्र पलांडू में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न जिलों के किसान प्रतिनिधि शामिल हुए. कार्यक्रम में शामिल किसानों ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को जमीनी स्तर पर सामने आ रही चुनौतियों के बारे में जानकारी दी, साथ ही राज्य में कृषि और किसानों की बेहतरी के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए. झारखंड किसान महासभा और झारखंड कृषि विभाग के ने संयुक्त रुप से यह कार्यक्रम आयोजित किया था. कार्यक्रम में कृषि विभाग की तरफ से निदेशक बागवानी नेसार अहमद ने किसानों की समस्याओं और सूझाव को सुना.
संवाद के जरिए जो प्रमुख समस्याएं निकलकर सामने आई, उनमें मार्केट लिंकेज, सिंचाई और सही बीज का नही मिलना, बीमा योजनाओं का लाभ नहीं मिला जैसी बातें निकलकर सामने आई. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए झारखंड किसान महासभा के अध्यक्ष राजू महतो ने कहा कि झारखंड के किसानों के लिए जो योजनाएं तैयार की जाती है उनका उन्हें लाभ ही नहीं मिल पाता है. कई ऐसी योजनाएं हैं जो फाइलों में तो हैं पर किसानों के पास नहीं पहुंच रही है. इसके कारण किसानों को परेशानी होती है इसलिए योजनाएं जब भी बनाई जाएं उसमें किसानों की राय को जरूर शामिल किया जाए, ताकि योजनाएं सफल हो सकें और किसानों को लाभ मिल सकें.
वहीं संवाद कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए हजारीबाग के प्रगतिशील किसान विनोद महतो ने मंडी व्यवस्था को लेकर किसानों के समक्ष आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया. अपनी परेशानी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि लॉक़डाउन के दौरान वो सिर्फ 50 प्रतिशत तरबूज बेच पाए थे बाकी 50 प्रतिशत उनके खेत में बर्बाद गई. उन्होंने बताया कि तरबूज बेचने के लिए उन्होंने वेजफेड से भी संपर्क किया पर किसी प्रकार की मदद नही मिली, उन्होंने एपीएमसी व्यवस्था पर भी सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में किसान कहीं नहीं है. सभी जगहों पर दलालों और बिचौलियों का कब्जा है. विनोद महतो ने एक आदर्श मंडी स्थापित करने का सुझाव दिया.
रांची जिले के बुढ़मू प्रखंड के किसान अनुज कुमार ने कहा कि बाजार व्यवस्था ने किसानों को इस तरह बना दिया है कि किसानों के पास बीज ही नहीं है, बीज के लिए उन्हें बाजार पर निर्भर रहना पड़ता है. उन्होंने कहा कि राज्य में किसानों के पास लॉजिस्टिक पॉलिसी नहीं है. किसानों को अपने उत्पाद को बाजार ले जाने में पैसा और समय दोनो खर्च करना पड़ता है. पर कई बार इसके बाद भी उन्हें उचित दाम नहीं मिलता है. अनुज कुमार ने कहा कि भूमि संरक्षण विभाग की योजनाओं का लाभ फर्जी लोगों को मिल रहा है. इसकी सोशल ऑडिट होनी चाहिए ताकि असली लाभुक को योजना का लाभ मिल सकें.
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