झारखंड की भौगोलिक स्थिति ही ऐसी है कि यहां पर सिंचाई एक बड़ी समस्या है. ऊंचे पठार क्षेत्र हैं, इसके कारण पानी यहां नहीं ठहरता है. यही वजह है की पर्याप्त बारिश होने के बावदूज झारखंड का 20 प्रतिशत क्षेत्र ही सिंचित क्षेत्र में आता है. सिंचाई की सुविधा नहीं होने के कारण हर साल हजारों हेक्टेयर खेती योग्य जमीन खाली रह जाती है. राज्य सरकार द्वारा लागातार राज्य में सिंचाई व्यवस्था में सुधार लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. इसके तहत राज्य में सरकारी और निजी तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. इसके अलावा परकोशेलन टैंक का निर्माण कराया जा रहा है.
राज्य में सिंचाई की सुविधा विकसित करने के लिए और किसानों को समृद्ध बनाने के लिए राज्य भर में 2133 तालाबों का जीर्णोद्धार किया जाएगा. साथ ही 2795 की संख्या में परकोलेशन टैंक बनाए जाएंगे. इसके लिए राज्य सरकार द्वारा कुल 467 करोड़ 32 लाख रुपये की राशि खर्च की जाएगी. इन तालाबों और परकोलेशन टैंक के निर्माण के जरिए झारखंड में भूजल स्तर में काफी सुधार आएगा. सिंचाई सुविधाओं में बेहतरी किए जाने के प्रयास के तहत 999 डीप बोरिंग भी किया जाएगा.
जिस तालाब का जीर्णोंद्धार किया जा रहा है उसका रकबा कम से कम पांच एकड़ का होना चाहिए. जिस तालाब को जीर्णोद्धार के लिए प्रस्तावित किया गया है, उसपर पिछले पांच वर्षों में किसी प्रकार का कार्य नहीं किया गया है. जिस जगह पर तालाब का निर्माण किया जाना है, वह जगह किसी भी प्रकार के विवाद से रहित होनी चाहिए. जिस जगह पर तालाब निर्माण के लिए प्रस्तावित किया गया है इससे कम से कम 25 एकड़ क्षेत्र में सिंचाई हो सके. इस योजना के तहत सरकारी या निजी तालाब का चयन ग्रामसभा के माध्यम से किया जाएगा.
योजना के तहत राज्य के 14 जिलों में 1280 भौतिक तालाब बनाने का लक्ष्य रखा गया है. सबसे अधिक 130 तालाबों का जीर्णोद्धार दुमका में किया जाएगा, जबकि रांची मं 118 तालाबों का चयन किया गया है. कृषि मंत्री ने बताया कि इन तालाबों के बन जाने के बाद किसानों को साल भर पानी मिलता रहेगा. इतना ही नहीं इसके लिए किसानों को अनुदानित दर पर सिंचाई उपकरण भी दिए जाएंगे. किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का लाभ दिया जाएगा. साथ ही किसान साल भर पानी रहने के तालाब में मछली पालन भी कर सकेंगे, इससे उनकी आय बढ़ेगी.
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