धान की खेतीखरीफ सीजन चल रहा है. धान के पौधे अब फूल आने की अवस्था में है. इस समय फसल में रोग और कीटों का प्रकोप होने की संभावना बनी रहती है. ऐसे में किसानों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो और उन्हें खेती-बारी की सही सलाह मिल सके इसके लिए कृषि विभाग और आईएमडी के सहयोग से किसानों के लिए कृषि सलाह जारी की जाती है. इन सलाहों का पालन करके किसान अपने फसलों को संभावित रोग और कीटों से होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं. इसमें धान की खेती के साथ-साथ सब्जियों की खेती को लेकर भी एडवाइजरी जारी की गई है.
किसानों के लिए जारी सामान्य सलाह में कहा गया है कि इस समय धान प्रजनन के अवस्था में है. इसलिए धान के खेतों में 5-10 सेंटीमीटर की गहराई तक पानी की मात्रा बनाए रखे. खेतों के मेडों को दुरुस्त रखें. खड़ी दलहनी फसलें जैसे उड़द, मूंग, अरहर और मक्का के खेतों में जलजमाव नहीं होने दे. अब बारिश खत्म हो चुका है तो किसान ऊपरी जमीन पर कीटनाशकों और उर्वरकों का प्रयोग करते हुए सब्जियों की बुवाई का काम शुरू कर सकते हैं. इसके साथ ही किसान अब रबी फसलों की रोपाई के लिए तैयारी कर सकते हैं. मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए जुताई के बाद पाटा चलाएं.
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धान की खेती को लेकर जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि धान की फसल में फूल आने से लेकर दूध देने की अवस्था तक किसान खेत में नियमित रूप से गांधी बग की जांच करते रहे. अगर खेत में कीटों की संख्या अधिक है तो खेत में इमिडाक्लोप्रिड 06 प्रतिशत और लैम्ब्डा-साइहेलोथ्रिन 4 प्रतिशत एसएल का 120 मिली प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें. आने वाले दिनों में एक बार फिर बादल और आर्द्र मौसम के साथ तापमान में बदलाव देखने के लिए मिल सकता है. ऐसे में धान के खेत में तना छेदक कीट का प्रकोप हो सकता है. तना छेदक कीट की निगरानी के लिए प्रति एकड़ दो फेरोमोन ट्रैप लगाए.
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सब्जी की खेती को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि खेत से अरितिरिक्त पानी निकाल दें. हल्की बारिश तथा उच्च आर्द्रता के कारण सब्जियों में झुलसा और रसचूसक कोटों का प्रकाप बढ़ सकता है. इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खेतों की नियमित निगरानी करते रहे. अगर खेत में कीटों का प्रकोप दिखाई देता है तो मैंकोजेब 75 डब्ल्यूपी दो ग्राम प्रति पानी में मिलाकर छिड़काव करे. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे सितंबर अक्तूबर में पत्तागोभी की अगेती बुवाई करे.
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