खरीफ सीजन की खाद्यान्न और सब्जी फसलों की सुरक्षा के लिए पंजाब, बिहार समेत 5 राज्यों के किसानों के लिए कृषि सलाह जारी की गई है. मूली, गाजर, पालक, फूलगोभी और शलजम समेत अन्य सब्जी फसलों के साथ ही मक्का, अरहर, मूंग समेत कई फसलों की उपज बचाने के लिए किसानों को सतर्क किया गया है. कृषि सलाह में फसलों में इस समय कीट और रोगों के प्रकोप से बचने का सुझाव किसानों को दिया गया है.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने खरीफ फसलों की सुरक्षा और उपज बचाव के लिए किसानों को सलाह दी है. पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में होने वाली सब्जी और खाद्यान्न फसलों से संबंधित सलाह जारी की गई है. किसानों से कहा गया है कि वह बाढ़ के पानी से फसलों को बचाने का प्रबंध करने के साथ ही सड़न रोग समेत कई तरह के कीटों से बचाव के लिए नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र जाकर अपने इलाके की जलवायु के हिसाब दवाओं और कीटनाशकों के इस्तेमाल का तरीका जान लें.
पंजाब के मध्य इलाकों में सर्दियों के लिए गाजर, मूली, पालक और शलजम जैसी सब्जियों की बुवाई का काम किसानों को करने के लिए कहा गया है. यहां के किसान फ़ूल गोभी की रोपाई भी कर सकते हैं. फूलगोभी की बपंर उपज के लिए बुवाई का यह सही समय है. दिल्ली के आसपास के इलाकों में जल्दी तैयार होने वाली अगेती किस्म की सरसों और मटर की बुवाई के लिए खेत तैयार करें. गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर समेत नजदीकी जिलों में रबी सीजन के लिए सरसों बुवाई के लिए सही समय बताया गया है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को कई सब्जी फसलों में कीटों और रोगों की रोकथाम के प्रबंध करने की सलाह दी गई है. किसानों को मेथी, धनिया समेत दूसरी सब्जी फसलों की बुवाई की सलाह दी गई है. यूपी के मैदानी हिस्सों में मेथी और धनिया की बुवाई के लिए यह सही समय है, क्योंकि बारिश का दौर थम गया है. वहीं, मूली फसल की बुवाई करने की सलाह भी किसानों को दी गई है. यहां के किसान सब्जियों और दलहनी फसलों में पर्याप्त जल निकासी व्यवस्था बनाकर रखें.
बिहार के किसानों को सलाह दी गई है कि यहां के उत्तर पूर्वी जलोढ़ इलाकों में जल्दी तैयार होने वाली उन्नत किस्म की सफेद सरसों की बुवाई का काम करें. किसान सफेद सरसों की बुवाई का काम बारिश की वर्तमान अवधि खत्म होने के बाद कर सकते हैं. जबकि, बाढ़ प्रभावित इलाकों में फसलों को बचाने के लिए जल निकासी का इंतजाम तुरंत करना होगा, नहीं तो पौधों में सड़न रोग समेत कई तरह की बीमारियां लग जाएंगी. वहीं, बिहार के उत्तर पश्चिमी जलोढ़ मैदानी क्षेत्र में बैंगन, टमाटर और मिर्च की रोपाई का काम करें.
झारखंड के किसानों को सलाह दी गई है कि दलहन और मोटे अनाज फसलों को अधिक जल से बचाना जरूरी है. राज्य के पश्चिमी पठार इलाकों में मूंग, उड़द, अरहर, मक्का और धान के खेतों से बारिश का फालतू पानी बाहर निकालने के लिए जल निकासी की व्यवस्था करें. ऐसा नहीं होने की स्थिति में पौधों और पत्तियां में सड़न रोग पनप जाएगा. जबकि, कीटों और रोगों से बचाव के लिए उचित दवाओं का छिड़काव भी करें.
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