देश के कई हिस्सो में गर्मी का कहर दिखने लगा है. देश के कई राज्यों समेत झारखंड के तापमान में अब लागातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. इसे देखते हुए किसानों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है, ताकि फसलों को नुकसान से बचाया जा सकें. इस गर्मी में किसानों को नुकसान नहीं हो इसे लेकर मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने कृषि सलाह जारी की है. इसका पालन करके किसान नुकसान से बच सकते हैं. तापमान में बढ़ोतरी और गर्म हवा के कारण विभिन्न फसलों में नमी की कमी के कारण विपरित असर हो सकता है. इसलिए किसानों को इस बात का ध्यान देना चाहिए की जल्दी-जल्दी से फसलों की सिंचाई करते रहे, ताकि खेत में पर्याप्त नमी बनी रहे.
मिट्टी में नमी बरकरार रखने के लिए फसल अवशेष जैसे पुवाल,पॉलिथीन या मिट्टी से ढंक दे. इसके साथ ही खेत के मेड़ पर वृक्षारोपण करें. अपने खेत की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं ताकि भूमि में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी मिल सकें. किसान मिट्टी की जांच के लिए अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र में संपर्क कर सकते हैं. इसके साथ ही जो किसान अदरक, हल्दी और ओल की खेती करना चाहते हैं, वे किसान सही समय पर बुवाई करने के लिए अभी से ही उन्नत किस्म के बीजों का चयन कर सकते हैं. इस समय गरमा धान की खेती करने वाले किसान अपने खेत के मेड़ को दुरुस्त कर लें ताकि जल जमाव बना रहे.
जो किसान हल्दी, अदरक और ओल की खेती करना चाहते हैं, उनके लिए सलाह दी गई है कि वो अभी से ही उन्नत किस्म के बीज की व्यवस्था कर लें. अदरक की उन्नत किस्मों के लिए किसान भाई वर्धमान, सुरुचि, सुप्रभा और नदीया किस्म का इस्तेमाल कर सकते हैं. वहीं किसान हल्दी की राजेंद्र और सोनिया जैसे उन्नत किस्म का इस्तेमाल कर सकते हैं. जबकि ओल के लिए किसान भाई इसकी उन्नत किस्में जैसे गजेंद्र, विधान, कुसुम, सरी पद्मा की बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं. हल्दी और अदरक की बुवाई के लिए एक एकड़ में आठ क्विंटल बीज का इस्तेमाल करें.
तापमान में बढ़ोतरी के कारण मवेशियों में लू लगने की संभावना बढ़ जाती है. जानवरों को लू लगने पर उनके चमड़े का रंग बदल जाता है, मुंह से झाग निकलता है, आंख के सफेद हिस्से लाल हो जाते हैं और आंख से पानी निकलता है साथ ही नाक से खून निकलता है और खाने में अरुचि दिखाते हैं. अगर जानवरों में यह लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत उपचार शुरु कर दें. पीड़ित मवेशी को ठंडे पानी से नहलाएं फिर उसके सिर और नाक पर बर्फ का टुकड़ा रखें. पशुओं के स्वास्थ्य के लिए अपने नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र से संपर्क करें.
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