रबी फसल के बाद अब झारखंड में गरमा फसलों की खेती का सीजन चल रहा है. इस समय यहां पर खेतों में गरमा धान के अलावा सब्जियां और मूंग खेत में लगे हैं. वहीं ये समय गेहूं के परिपक्व होने का भी है. साथ ही आम के टिकोरे (कच्चे आम) भी पेड़ों में लग गए हैं, ऐसे में किसानों के लिए राज्य के कृषि और मौसम वैज्ञानिकों ने सलाह जारी की है. इन सलाह का पालन करके किसान आगामी दिनों में होने वाले मौसम से बदलावों से बच सकते हैं. मौसम विभाग ने झारखंड के कई जिलों में एक दो दिनों के अंतर्गत ओलवृष्टि और बारिश की चेतावनी दी है.
इसे देखते हुए सब्जी की खेती के लिए सलाह जारी करते हुए कहा गया है कि इस वक्त हुई बारिश के कारण टमाटर और भिंडी की फसलों में मिट्टी जनित रोग हो सकते हैं, इससे अंकुरण और सड़न जैसी समस्या आ सकती है. इससे बचाव के लिए किसान इन पौधों के जड़ों के आस-पास कॉपर आक्साईक्लोराइड का छिड़काव तीन ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से करें. इसके अलावा इस सीजन में कहीं-कही पर टमाटर की फसल में पर्ण कुंचन रोग का प्रभाव देखा जा रहा है. यह एक विषाणु जनित रोग है जो कीट के जरिए फैलता है. इस रोग से प्रभावित पौधों को जड़ से उखाड़कर जला देना चाहिए. साथ ही कीटनाशी दवा एमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव एक मिली प्रति लीटर पानी के साथ करें.
गेहूं का जिक्र करें तो इस वक्त अधिकांश गेहूं की फसल दाना भरने की स्थिति में है या पक चुका है, जो गेहूं दाना भरन की स्थिति में उस खेत में नमी की कमी नहीं होने दें, इससे उत्पादकता में कमी आ सकती है. इसके अलावा गेहूं की फसल में इस वक्त लूज स्मट नामक बीमारी का प्रकोप होता है, जिससे बनने के साथ ही काला चूर्ण बन जाता है. इससे फसल को बचाने के लिए इसे सावधानी से तोड़कर जला दें. जो किसान उसी गेहूं की अगले साल भी बीज के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते हैं, वो किसान इस काले चूर्ण का खास तौर पर खयाल रखें.
पशुपालकों के लिए इस मौसम को देखते हुए सलाह जारी की गई है. इसमें कहा गया है कि सभी उम्र के पशुओं को इस समय कृमिनाशक दवा दें. इसके साथ ही दुधारू पशुओं को देने वाले आहार में खल्ली की मात्रा 10-20 फीसदी तक बढ़ा दें और मिनरल मिक्सचर की मात्रा एक फीसदी तक बढ़ा दें. दुधारू पशुओं को थनैला रोग से बचाने के लिए उनके थनों को हमेशा साफ पानी से धोते रहे और बीमार पशुओं को गुनगुना पानी पीने के लिए दें. इसके अलावा बकरियों को पीपीआर रोग से बचाने के लिए टीकाकरण कराएं. इसके साथ ही बत्तख और मुर्गियों का भी विशेष ध्यान रखें.
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