संगरूर के लहरागागा इलाके के कई गांवों में बुधवार दोपहर बाद मौसम ने ऐसी करवट ली कि 10 मिनट में ही किसानों के खेतों में खड़ी फल सब्जियां बर्बाद हो गईं. भारी ओलावृष्टि के कारण कई फसलें जमीन में मिल गईं. देखते ही देखते धरती सफेद हो गई. मंडियों में पड़ी गेहूं पर भी भारी ओलावृष्टि के कारण बोरियां और गेहूं के ढेर सफेद नजर आ रहे थे. किसानों के खेतों में लगी सब्जियां और मवेशियों को डालने वाला चारा बर्बाद हो चुका है. जिन खेतों में फलों के बाग थे, वह भारी ओलावृष्टि के कारण टूट कर जमीन पर गिर चुके हैं. किसानों ने कहा कि इस बार यह कुदरत का दूसरी बार कहर बरपा है. इससे पहले बारिश और ओलावृष्टि ने खेतों में खड़ी गेहूं की फसल बर्बाद कर दी थी. उस नुकसान की भरपाई अभी हुई नहीं हुई है जबकि बुधवार को फिर दोबारा बड़े स्तर पर ओलावृष्टि हुई है.
संगरूर में बुधवार दोपहर बाद खिली धूप के बीच 10 मिनट कई गांवों में भारी ओलावृष्टि हुई. इनमें संगति वाला गोविंदगढ़, खोखर छाहाड़ और इसके आसपास के लगते कई गांव शामिल हैं. ओलावृष्टि से इन गांवों की धरती बिल्कुल सफेद हो गई और खेतों में किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं. चाहे वह सब्जियां हों या मवेशियों को डालने वाला चारा, बारिश और ओलावृष्टि से सबकुछ बर्बाद हो गया. मंडियों में पड़ी गेहूं बारिश के चलते भीग गया है.
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गांव संगति वाला के किसान अजेब सिंह और देवेंद्र सिंह ने बताया कि भले ही अब खेतों में गेहूं की फसल नहीं है, लेकिन जितनी फसल खड़ी है उसको नुकसान हुआ है. खेतों में मवेशियों को डालने वाला चारा, फल, सब्जियां थीं जिनका बड़े स्तर पर नुकसान हुआ है. 10 मिनट की ओलावृष्टि ने ही बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है.
किसान अमरीक सिंह ने बताया कि खेत में फलों का बाग था जिसमें बड़े स्तर पर आडू लगे हुए थे. ये आडू भारी ओलावृष्टि के चलते टूट कर जमीन पर गिर चुके हैं. खेतों में लगाया प्याज जो अभी पकने के लिए तैयार हो रहा था, वह भारी ओलावृष्टि के चलते ऊपर से टूट चुका है. खेतों में खड़ी मक्की की फसल टूट कर जमीन पर बिखर चुकी है. पिछले 20 दिनों में फसलों पर यह दूसरी मार लगी है.
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किसान नेता सरबजीत ने कहा, पहले की बारिश और उससे हुए नुकसान से अभी उबरे नहीं थे कि दूसरी बार कुदरत की मार पड़ी है. खेतों में खड़ी गेहूं की फसल का बड़े स्तर पर नुकसान हुआ है. पिछली बारिश और ओलावृष्टि ने भी यही हाल किया था. जो फसल बची थी उसको मंडियों में लेकर गए थे, लेकिन आज फिर बदले मौसम के कारण पहले से भी ज्यादा ओलावृष्टि हुई. इससे खेतों में जो बची हुई गेहूं की फसल खड़ी थी, उसका नुकसान हुआ है.
सरबजीत ने कहा, फल-सब्जियां, मक्के की फसल ज्यादातर खेतों में लगी हुई थी, उसका भारी नुकसान हुआ है. नुकसान का अंदाजा एक-दो दिन में लग पाएगा जब खेतों में जाकर जायजा लिया जाएगा. सरकार से आग्रह है कि इस नुकसान की भरपाई करे ताकि किसानों को कुछ राहत मिल सके.
किसान हर दिन की तरह बुधवार को भी करनाल की मंडियों में गेहूं लेकर पहुंचे. सब कुछ ठीक चल रहा था कि दोपहर को अचानक बरसात ने किसानों के सामने परेशानी खड़ी कर दी. अचानक आई बरसात से करनाल मंडी में गेहूं भीग गया. गेहूं को बचाने के लिए काफी प्रयत्न किए गए लेकिन वे सबकुछ नाकाफी रहे. मंडियों में तिरपाल आदि की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी जिससे किसान बेहद निराश नजर आए. किसानों ने सरकार से मांग की कि मंडियों में किसानों के लिए पूरी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि आगे से ऐसी हर स्थिति से निपटा जा सके.
मंडी गेहूं लेकर पहुंचे एक किसान रिंकू ने कहा कि बारिश से उनका करीब 70 क्विंटल गेहूं भीग गया है. इसे बचाने के लिए तिरपाल आदि की कोई व्यवस्थान नहीं थी. कुदरत के आगे वे कुछ नहीं कर सकते, लेकिन सरकार को चाहिए कि मंडियों में तिरपाल आदि की पर्याप्त व्यवस्था हो. किसान ने कहा कि मंडियों में गेहूं उठान की गति काफी धीमी है जिसे तेज किया जाना चाहिए.
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मंडी में एक और किसान संजीव कुमार ने कहा, मंडियों में किसानों के लिए कोई सुविधा नहीं है. बरसात के चलते गेहूं भीग गया है. अगर मंडी में तिरपाल की व्यवस्था होती तो गेहूं भीगने से बच जाता. संजीव कुमार ने सरकार से मांग की है कि किसान पहले ही कुदरत की मार झेल रहे हैं. वहीं मंडियों में गेहूं को भीगने से बचाने के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध होगा तो उन्हें कुछ राहत मिलेगी.(करनाल से कमलदीप का इनपुट)
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