नाफेड ने अब तक देश भर में 10,02,806 लाख मीट्रिक टन चने की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की है. रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए तय 5335 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदे गए इतने चने के बदले किसानों को 5349.97 करोड़ रुपये की रकम मिल चुकी है. इसकी खरीद देश के आठ चना उत्पादक राज्यों में चल रही है. दलहनी फसलों में अहम स्थान रखने वाले चना की खरीद में इस साल महाराष्ट्र ने बाजी मार ली है. उसने दूसरे सभी सूबों को पछाड़ दिया है. खासतौर पर मध्य प्रदेश को भी, जो खुद इसका सबसे बड़ा उत्पादक है. महाराष्ट्र के किसानों से 4,45,711 टन चना खरीदा गया है.
देश में चने की सरकारी खरीद का लक्ष्य लगभग तीन मिलियन टन का होता है. इस लिहाज से खरीद की रफ्तार ठीक मानी जा सकती है. मंडियों में चने की आवक अच्छी है. केंद्र सरकार के मुताबिक चने की उत्पादन लागत 3206 रुपये प्रति क्विंटल आती है. उस पर 66 फीसदी का मुनाफा जोड़कर उसे 5335 रुपये के भाव पर खरीदा जा रहा है. चने का दलहनी फसलों में अहम स्थान है. इसमें 40 परसेंट से ज्यादा इसी की हिस्सेदारी है.
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देश में चने का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है. अपना देश अभी तक दलहन फसलों के मामले में आत्मनिर्भर नहीं है, ऐसे में उत्पादन बढ़ना शुभ संकेत है. रबी फसल सीजन 2022-23 में रिकॉर्ड 136.32 लाख टन चना उत्पादन का अनुमान है. जो 2020-21 में सिर्फ 119.11 लाख टन था. हम सालाना लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की दाल इंपोर्ट कर रहे हैं. इसलिए सरकार दलहनी फसलों की बुवाई के लिए प्रोत्साहन दे रही है. फिलहाल बात करें एमएसपी पर इसकी खरीद की तो इस वर्ष अब तक 500492 किसान इससे लाभान्वित हो चुके हैं.
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