अनाज मंडियों में गल्ले की भरमार, बिक्री के बाद भी गेहूं की नहीं हो पा रही उठान

अनाज मंडियों में गल्ले की भरमार, बिक्री के बाद भी गेहूं की नहीं हो पा रही उठान

गेहूं की धीमी उठान को लेकर आढ़तियों का कहना है कि इस बार मौसम की मार की वजह से किसानों ने फसलों की कटाई मशीन से शुरू कर दी और भारी मात्रा में फसल मंडी में आने लगी. इसलिए गेहूं उठान का काम काफी धीमा हो गया है जिसकी वजह से किसानों को काफी नुकसान हो सकता है.

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अनाज मंडियों में गल्ले की भरमार, बिक्री के बाद भी गेहूं की नहीं हो पा रही उठानअनाज मंडियों में गेहूं की उठान बहुत धीमी चल रही है

अभी गेहूं का सीजन पीक पर है लेकिन अंबाला की अनाज मंडी में किसानों की फसलों के लिए जगह नहीं बची है. हरियाणा की लगभग सभी मंडियों का यही हाल है जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. आढ़तिये भी बहुत हद तक परेशान हैं. किसानों और आढ़तियों की चिंता इस बात को लेकर है कि आने वाले दिनों में बारिश हो सकती है. ऐसे में अगर अनाज को सही समय पर सही जगह नहीं पकड़ाया जाए तो स्थिति खराब हो जाएगी और अनाज भीग जाएगा. जगह की कमी होने से मंडियों में गल्ले की ढेर लगी है जिसका कारण उपज की धीमी उठान है. अंबाला की जहां तक बात है तो हर बार फसल उठान का काम दो कंपनियां करती हैं, लकिन इस बार एक ही कंपनी ने फसल उठान की है. नतीजा ये है कि अनाज मंडी में लगे हुए फसल के भरमार ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. 

अंबाला की अनाज मंडी में अभी फसल रखने की जगह भी नहीं बची है. इसका कारण स्लो लिफ्टिंग है जिसकी वजह से किसान भी परेशान दिखाई दे रहे हैं. वही मौसम विभाग ने अगले चार दिनों में मौसम में परिवर्तन के आसार जताए हैं जिसने किसानों की चिंताएं और बढ़ा दी हैं. हर साल मंडियों में दो कंपनियों को फसल उठाने का काम दिया जाता था, लेकिन इस बार एक ही कंपनी यह सारी फसल उठा रही है. इसकी वजह से उठान की गति काफी धीमी है. 

गेहूं उठान में देरी की वजह

इस बारे में जब किसानों से बात की गई तो उनका कहना है कि काफी समय हो चुका है, लेकिन अभी भी उठान नहीं हो रहा है. इसकी वजह से उन्हें काफी नुकसान हो रहा है. दूसरी ओर, स्लो लिफ्टिंग को लेकर आढ़तियों का कहना है कि इस बार मौसम की मार की वजह से किसानों ने फसलों की कटाई मशीन से शुरू कर दी और भारी मात्रा में फसल जल्दी मंडी में आने लग गई. इसलिए लिफ्टिंग का काम काफी धीमा हो गया है. इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. 

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वही इस बारे में अंबाला शहर अनाज मंडी के सेक्रेटरी दलेल सिंह ने बताया कि अभी तक मंडी में लगभग साढ़े तीन लाख क्विंटल गेहूं आ चुका है जिनमें से डीएफएससी ने 26 परसेंट और हेफेड ने 11 परसेंट फसल उठा ली है. बाकी वर्षों की तुलना में देखें तो इस बार लिफ्टिंग का काम धीरे चल रहा है. एक आंकड़े के मुताबिक पूरे हरियाणा में अभी तक खरीदे गए गेहूं का 30 परसेंट हिस्सा उठा लिया गया है जबकि 70 फीसद अनाज मंडियों में यूं ही पड़ा हुआ है. अगर बारिश होती है तो गेहूं सहित और भी कई उपजों का भारी नुकसान हो सकता है.

करनाल में गेहूं खरीद में तेजी 

आंकड़े बताते हैं कि अभी तक अनाज मंडियों और उठान एजंसियों को गेहूं की 38 लाख मीट्रिक टन आवक प्राप्त हुई है जिसमें 36 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीद एजंसियों ने की है. इसमें से मात्र 10.22 लाख मीट्रिक टन गेहूं की उठान ही सोमवार तक की जा सकी है. जिन जिलों में सबसे तेजी से गेहूं की उठान हो रही है उसमें पहले नंबर पर करनाल है. उसके बाद कैथल और यमुनानगर का नाम आता है.

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कुछ मंडियों में गेहूं की उठान इसलिए भी धीमी चल रही है क्योंकि वहां एफसीआई को गेहूं की सीधी डिलीवरी की जानी है, लेकिन इसके लिए ट्रेन के वैगन की कमी है. जिस वैगन के जरिये मंडी से गेहूं को रेलवे स्टेशन तक भेजना है, उस वैगन की कमी की वजह से भी उठान में देरी देखी जा रही है. हालांकि आने वाले समय में गेहूं की लिफ्टिंग में तेजी आने की संभावना जताई जा रही है.

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