
रेवाड़ी में सरसों की सरकारी खरीद प्रक्रिया आचनक बंद करने से गुस्साए किसानों ने शुक्रवार को मंडी के सामने रोड जाम कर दिया. किसानों ने प्रशासन से खरीद प्रक्रिया फिर शुरू करने की मांग की. किसानों ने कहा कि वे 12 से 15 घंटे लाइन में खड़े होकर सरसों बेचने को मजबूर हैं. ऊपर से अब कहा गया कि खरीद का टारगेट पूरा हो गया है. आगे खरीद नहीं की जाएगी. इससे नाराज किसानों ने मंडी के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. किसानों की शिकायत है कि इतनी जल्द खरीद प्रक्रिया रोकना गलत है क्योंकि किसान अभी उपज बेचने के लिए मंडी पहुंच रहे हैं.
रेवाड़ी के बावल रोड स्थित बीठवाना सब्जी मंडी के सामने रोड जाम करके बैठे किसानों ने कहा कि जबतक खरीद प्रक्रिया दोबारा शुरू नहीं की जाती है, तबतक वो रोड जाम करके बैठे रहेंगे. बता दें कि करीबन 20 दिनों से मंडी में 5450 रुपये एमएसपी पर सरसों की सरकारी खरीद प्रक्रिया चल रही थी. इस बार बिना रोस्टर के किसानों को मंडी में बुलाया गया. इसलिए किसानों को घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ रहा है.
विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि वे आधी रात में आकर लाइन में लगने को मजबूर हैं क्योंक बिना लाइने में लगे वे अपनी सरसों सरकारी रेट पर नहीं बेच पाएंगे. रोजाना की तरह आज (शुक्रवार) भी किसान देर रात से लाइन में लगे हुए थे. लेकिन दोपहर करीबन साढ़े 12 बजे अचानक कह दिया गया कि आगे सरसों की खरीद नहीं की जाएगी. इतना सुनकर किसान भड़क गए और उन्होने रोड जाम कर दिया. उन्होंने जमकर नारेबाजी की और अपना रोष व्यक्त किया.
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इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस और अधिकारियों ने उच्च अधिकारियों से बातचीत करने के लिए किसानों से एक घंटे का समय मांगा. फिर बातचीत होने के बाद किसानों ने जाम खोल दिया. लेकिन एक घंटे बाद भी कोई हल नहीं निकला तो किसानों ने दोबारा रोड जाम कर दिया. इसके बाद मौके पर पहुंचे एसडीएम ने कहा कि खरीद जारी रहेगी. एसडीएम ने कहा कि नेफेड का टारगेट पूरा हो गया है. इसलिए खरीद प्रक्रिया रोक दी गई थी. मगर सरकार के आदेशों के अनुसार खरीद जारी है. अब हेफेड सरसों की खरीद करेगी.
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बहराल, हेफेड ने सरसों की खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी है. लेकिन यहां अधिकारियों की लापरवाही रही है जो किसानों को बिना मैसेज दिए खरीद रोक दी गई. वहीं दूसरी और अगर मार्केटिंग बोर्ड के अधिकारी किसानों को रोस्टर के मुताबिक बुलाते तो किसानों को घंटों लाइनों में भी नही खड़ा होना पड़ता. किसान रोस्टर के हिसाब से अपनी उपज की खरीद करने की मांग कर रहे हैं.
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