हरियाणा के कई इलाकों में इस बार धान की फसल चौपट हुई है. भारी बारिश के बाद धान की नर्सरी पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. कई जगह धान की रोपनी हो गई थी, वहां बाढ़ का पानी आने से फसल डूब गई है. ऐसे किसानों के सामने अंतिम विकल्प यही है कि वे दोबारा धान की रोपाई करें. लेकिन एक समस्या ये है कि मध्य जून के बाद अभी तक लगभग एक महीने का समय गुजर चुका है. मध्य जून से धान की रोपाई शुरू हो जाती है. अगर कोई किसान दोबारा धान की रोपाई करेगा तो उसकी फसल एक महीने पिछड़ जाएगी. इससे पैदावार घटने की आशंका है. इससे बचने के लिए एक्सपर्ट की सलाह है कि ऐसी किस्मों की बुआई करें जो कम दिन में तैयार होती है. इससे किसान अपने नुकसान की भरपाई कर सकेंगे.
एक्सपर्ट के मुताबिक, किसान अगर धान की जल्दी होने वाली वैरायटी जैसे कि पीआर-126, पीबी-1509, और पीबी-1692 की खेती करें तो उन्हें अधिक लाभ होगा. एक्सपर्ट बताते हैं कि इन किस्मों की रोपाई पांच अगस्त तक हो जानी चाहिए क्योंकि इसे तैयार होने में 100 दिन का समय लगता है. अगर अगस्त के पहले हफ्ते तक इन वैरायटी की खेती हो जाती है तो किसानों को धान की पैदावार में कोई नुकसान नहीं होगा.
हरियाणा में किसान कल्याण नीति के लिए बनाए गए टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉ. गुरबचन सिंह ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा, जल्दी तैयार होने वाली वैरायटी की रोपाई कर दें तो अनाज की अच्छी क्वालिटी मिलेगी और फसल पर कीट या खर-पतवार का कोई असर नहीं होगा. गुरबचन सिंह कहते हैं कि धान की नर्सरी अगर 35-45 दिन की भी हो तो उसकी रोपाई कर सकते हैं.
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एक्सपर्ट बताते हैं कि किसान बासमती की वैरायटी जैसे कि पीबी-1885 और पीबी-1886 और परमल की वैरायटी पीआर-130, और पीआर-131 की रोपाई कर सकते हैं. लेकिन इन किस्मों को जुलाई अंत से पहले लगाना होगा तभी अच्छी पैदावार मिलेगी. वैकल्पिक फसलें जैसे मक्का, अनाज के लिए मूंग और चारे की फसल के रूप में बाजरा, लोबिया और ग्वार अगस्त के पहले पखवाड़े तक लगाई जा सकती हैं. सरसों और तोरिया की अगेती किस्म 15 अगस्त से लगाई जा सकती है. नवंबर के पहले पखवाड़े में इन फसलों की कटाई के बाद एचडी-2851 जैसी देर से बोई जाने वाली गेहूं की कई किस्में भी उगाई जा सकती हैं.
आईएआरआई, दिल्ली और करनाल के क्षेत्रीय केंद्र के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. वीरेंद्र सिंह लाठर ने कहा कि देर से रोपाई की गई धान फायदेमंद नहीं हो सकती है क्योंकि तापमान में गिरावट के कारण बीज खराब हो सकते हैं और फसल की पैदावार कम हो सकती है. इससे बचने का एक ही उपाय है कि किसान जल्द तैयार होने वाली फसल की बुआई करें. इसमें किसान पीआर-126, पीबी-1509 और पीबी-1692 जैसी धान की किस्मों को लगा सकते हैं. इन किस्मों की रोपाई पांच अगस्त तक की जानी चाहिए क्योंकि इन वैरायटी को तैयार होने के लिए 100 दिन का समय चाहिए होता है.
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