देश में कई राज्यों में शीतलहर चलने के कारण कड़ाके की ठंड पड़ रही है. मौसम विभाग आए दिन किसी न किसी राज्य में जमीनी पाला (Ground Frost) की चेतावनी जारी कर रहा है. इस बीच, हरियाणा के हिसार में किसानों की फसल पाला से प्रभावित होने का मामला सामने आया है. आईएमडी के मुताबिक, हरियाणा में औसत न्यूनतम तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ोतरी हुई है. लेकिन, इसके बावजूद इलाके में तापमान सामान्य से 2 डिग्री सेल्सियस नीचे बना हुआ है.
कल रात हिसार में न्यूनतम तापमान 1.7 डिग्री सेल्सियस रहा. यह क्षेत्र में सीजनकी सबसे ठंडी रात थी. लगातार कम तापमान के चलते किसानों ने फसलों को काफी नुकसान होने की बात कही है. सरसों और सब्जियों की फसलों पर पाला और ओस जमने के कारण नुकसान होने की बात कही जा रही है. 'दि ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, पगड़ी संभाल किसान संघर्ष समिति के राज्य समिति सदस्य अनिल गोरची ने कहा कि जिले के बालसमंद तहसील के सिसवाला, भिवानी रोहिल्ला और रावलवास कलां आदि गांवों में फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है.
रावलवास कलां गांव के किसान रमन पूनिया ने बताया कि उनके खेत में सब्जी की फसल लगी है, लेकिन जब सुबह खेत जाकर देखा तो बेलों पर पाला जमा दिखा. वहीं, भिवानी रोहिल्ला गांव के किसान देवेंद्र ने बताया कि उनकी सरसों फसल पर पाले की सफेद परत चढ़ गई है, जिससे काफी नुकसान हुआ है.
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अनिल गोरची ने कहा कि किसान डीएपी खाद की कमी और अब फसलों पर मौसम की मार के कारण दोहरी चुनौतियों झेल रहे हैं. उन्होंने सरकार से पाला से हुए नुकसान का सर्वे कर मुआवजा देने की मांग की है.
पाला की समस्या को लेकर कृषि उप निदेशक डॉ. राजबीर सिंह ने कहा कि जल्दी बिजाई वाली सरसों फसल पर पाले के प्रकोप की आशंका है, लेकिन गेहूं और शेष रबी फसलों में कोई नुकसान नहीं हुआ है.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, चार डिग्री या इससे कम तापमान के कारण फसल पाला से प्रभावित हो जाती है. फसल को शीतलहर या पाला से बचाने के लिए रात में प्लास्टिक कवर, फूस की बनी टाट या पुआल से ढंक देना चाहिए. इससे फसल बची रहती है. हालांकि, ध्यान रहे कि जिस भी चीज से फसल को ढंक रहे हैं, वह वजनी न हो, जिससे पौधे झुक या टूट जाएं.
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