पराली प्रबंधन. (सांकेतिक तस्वीर)एक ओर जहां हरियाणा में इस साल फिर काफी संख्या में पराली जलाने के मामले सामने आए हैं और यह घटनाक्रम निरंतर जारी है. वहीं, दूसरी ओर करनाल जिले में किसान अब पराली के प्रबंधन में रुचि दिखा रहे हैं. करनाल के 13,306 किसानों ने 1,42,598 एकड़ पर पराली प्रबंधन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. बड़ी संख्या में किसानों का रजिस्ट्रेशन कराना यह दर्शाता है कि वे भी स्थायी कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. सरकार इस पहल के जरिए पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को आर्थिक प्रोत्साहन देती है. जिसमें इन्हें प्रति एकड़ 1,000 रुपये की राशि दी जाती है.
राज्य सरकार, पराली जलाने की घटनाओं को रोकने और पर्यावरण के अनुकूल खेती-किसानी के तरीकों को बढ़ावा देने के लिए योजना चला रही है. 'दि ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, जिले में सबसे ज्यादा किसानों ने एक्स-सीटू मैनेजमेंट में रुचि दिखाई है. इस कैटेगरी में 8,842 किसानों ने 98,087 एकड़ पर पराली के प्रबंधन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है.
एक्स-सीटू मैनेजमेंट के तहत धान की पराली को बेलर मशीनों से बंडलों में तब्दील किया जाता है, जिन्हें बाद में उद्योगों को सौंप दिया जाता है. इन पराली बंडलों का उपयोग ईंधन की तरह किया जाता है. एक्स-सीटू मैनेजमेंट में कटर, रेक, और बेलर जैसी मशीने इस्तेमाल की जाती हैं. दूसरे नंबर पर किसानों ने 2जी इथेनॉल संयंत्र को पराली सप्लाई के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. इसमें 2,154 किसानों ने 21,703 एकड़ क्षेत्र के लिए आवेदन किया है.
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वहीं, किसान इन-सीटू प्रबंधन तकनीक पर भी ध्यान दे रहे हैं. इस मैनेजमेंट तरीके के जरिए पराली प्रबंधन मशीनों से पराली को मिट्टी में मिला दिया जाता है, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है और अगली फसल में खाद कम लगती है. इस सिस्टम के तहत अभी 2,466 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. इसमें 22,807 एकड़ कृषि भूमि कवर हो रही है. अधिकारियों के मुताबिक, रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख 30 नवंबर है. इसके बाद विभाग किसानों के दावों का सत्यापन शुरू करेगा.
कृषि उप निदेशक (डीडीए) डॉ. वजीर सिंह ने इन-सीटू और एक्स-सीटू मैनेजमेंट सिस्टम अपनाने वाले किसानों की कोशिशों की सराहना की. कृषि उप निदेशक ने कहा कि जिले के किसानों ने पराली प्रबंधन प्रणाली को अपनाने में रुचि दिखाई है. यही वजह है कि पराली जलाने के मामलों में गिरावट आई है. जिले में पिछले सीजन के मुकाबले लगभग 25 प्रतिशत पराली जलाने के मामले कम हुए है. इस सीजन में जिले में पराली जलाने की 93 घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं. पिछले साल 21 नवंबर तक जिले में 122 मामले दर्ज किए गए थे.
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