लहसुन की खेती नवंबर महीने में शुरू की जाती हैबिहार में धान की कटाई शुरू हो चुकी है. इसके साथ ही कई किसान कम अवधि वाले धान की कटाई पूरी कर रबी सीजन की तैयारी में जुट गए हैं. यह समय लहसुन की खेती के लिए जहां अच्छा माना जा रहा है, वहीं कृषि मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार लहसुन की खेती के अलावा किसान रबी सीजन में मक्का, चना,मटर, राजमा सहित मेथी की खेती को लेकर खेत की तैयारी शुरू कर सकते हैं ताकि समय से इसकी खेती करके कम खर्च में अधिक मुनाफा पाया जा सके. लहसुन की खेती को लेकर भोजपुर कृषि विज्ञान केंद्र के हेड डॉ. प्रवीण कुमार द्विवेदी कहते हैं कि लहसुन कम खर्च में अधिक मुनाफा देने वाली सब्जी की खेती है. वहीं इसके भंडारण से लेकर रख रखाव पर ज्यादा खर्च नहीं आता है. बाजार में इसका दाम बहुत कम नहीं होता है. इसलिए किसानों को लहसुन की खेती जरूर करनी चाहिए.
बता दें कि लहसुन की खेती प्याज की तरह ही की जाता है. इसके एक एक दाने को जमीन के नीचे गाड़ा जाता है. इसकी खेती के लिए सही समय अक्टूबर से नवंबर का महीना माना जाता है. अप्रैल के महीने में इसे उखाड़ लेते हैं. प्याज और लहसुन को एक ही प्रजाति का माना जाता है. आम बोल चाल की भाषा में इन्हें भाई-बहन भी कहा जाता है.
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डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के वैज्ञानिकों के अनुसार जिस खेत में लहसुन लगाना है, उस खेत की सही तरीके से जुताई करनी चाहिए. उस दौरान प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल कंपोस्ट, 60 किलोग्राम नेत्रजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस, 80 किलोग्राम पोटाश, 20-40 किलोग्राम सल्फर का प्रयोग करना चाहिए. वहीं लहसुन की बुवाई छोटी-छोटी क्यारियों में करनी चाहिए. इस दौरान क्यारियों की चौड़ाई एक से दो मीटर और लंबाई 03 से 05 मीटर के बीच रखनी चाहिए. वहीं किसान को प्रति हेक्टेयर 300 से 500 किलोग्राम जावा का उपयोग करना चाहिए जिसको लगाने की दूरी 15 बाई 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए.
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केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार लहसुन की खेती के दौरान किसानों को सही बीज का चयन करना बेहद जरूरी होता है. लहसुन की खेती के लिए गोदावरी (सेलेक्शन-1), श्वेता (सेलेक्शन-10) एग्रीफाउंड डार्क रेड (जी11 ), एग्रीफाउंड व्हाइट (जी41), एग्रीफाउंड पार्वती (जी 313), जमुना सफेद -2 (जी 50) जमुना सफेद 3 (जी 282), जमुना सफेद 4 (जी 323) और आर ए यू (जी5) अनुसंशित किस्में हैं. इन बीजों का उपयोग किसान कर सकते हैं. ये किस्में बंपर पैदावार के लिए जानी जाती हैं.
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