बिहार में मोटे अनाज की खेती के लिए बनेगा रोडमैप, हैदराबाद के  ICRISAT संस्थान को मिली जिम्मेदारी 

बिहार में मोटे अनाज की खेती के लिए बनेगा रोडमैप, हैदराबाद के  ICRISAT संस्थान को मिली जिम्मेदारी 

राज्य में मोटे अनाज विकास कार्यक्रम के लिए तेलंगाना के ICRISAT संस्थान को नामांकन के आधार पर मिली मंजूरी. गंगा नदी के किनारे जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना के लिए तीस करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई. इसके साथ ही  गंगा जल आपूर्ति का लाभ नवादा जिले को भी मिलेगा. 

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बिहार में मोटे अनाज की खेती के लिए बनेगा रोडमैप, हैदराबाद के  ICRISAT संस्थान को मिली जिम्मेदारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैठक करते हुए. फाइल फोटो-किसान तक

बिहार में जैविकी खेती को बढ़ावा देने के लिए सूबे की सरकार ने कई तरह की योजना शुरू की है. चतुर्थ कृषि रोड मैप के तहत परंपरागत कृषि विकास योजना के लिए तीस करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है. जिसका उपयोग जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की अहम बैठक में ये फैसला लिया गया. जबकि मोटे अनाज विकास कार्यक्रम के लिए तेलंगाना के अंतर्राष्ट्रीय अर्ध शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान हैदराबाद का चयन किया गया . यह संस्थान कम वर्षा में मोटे अनाज वाले जिलों की पहचान करेगी. वहीं किस जिले में किस फसल की खेती होगी. इसकी पूरी जानकारी देगी. इसके लिए गया जिले के टनकुप्पा में बीज गुणन प्रक्षेत्र और मायापुर में उत्कृष्टता केंद्र बनाया जाएगा. 

बता दें कि राज्य कैबिनेट की बैठक में जल जीवन हरियाली अभियान के तहत गंगा जल आपूर्ति का लाभ नवादा जिले को देने पर सहमति बनी. वहीं जल संसाधन विभाग के द्वारा प्रस्तावित योजना पर सहमति बनाते हुए सरकार ने 340. 89 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई. वहीं  इस योजना के जरिये पहले से  राजगीर,गया और बोधगया को लाभ मिल रहा है. वहीं अब आने वाले समय में नवादा के शहरी इलाकों के लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध होगा. 

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राज्य में मोटे अनाज का बनेगा रोडमैप

चतुर्थ कृषि रोडमैप के अंतर्गत फसल विविधीकरण कार्यक्रम के तहत मिलेट्स विकास कार्यक्रम अंतर्गत पोषक अनाज के मूल्य श्रृंखला के विकास कार्यक्रम को कार्यान्वित करने हेतू वर्ष 2023-24 से 2027-28 तक के लिए नामांकन के आधार पर तेलंगाना के अंतर्राष्ट्रीय अर्ध शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान हैदराबाद का चयन किया गया है. राज्य में मोटे अनाज की खेती सहित अन्य कार्यों के लिए सरकार ने एजेंसी को 16.21 करोड़ स्वीकृत की है. यह संस्थान मोटे अनाज की फसलों की कटाई,प्रखंड व ग्राम स्तर पर प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने में मदद करेगी . साथ ही राज्य का कौन सा जिला  मोटे अनाज की खेती के लिए सही है. इसका भी चयन करेगी. साथ ही मोटे अनाजों के प्रोसेसिंग,महिला किसानों को प्रशिक्षण, बीज सुधार और बेहतर बाजार कहा होगा. इसको लेकर भी सहयोग करेगी. इसके लिए गया जिले के टनकुप्पा में बीज गुणन प्रक्षेत्र और मायापुर में उत्कृष्टता केंद्र बनाया जाएगा. 

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परम्परागत कृषि विकास योजना के कार्यान्वयन के लिए 30.16 करोड़ की स्वीकृति

राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार के द्वारा  चतुर्थ  कृषि रोडमैप के अंतर्गत परंपरागत कृषि विकास योजना के कार्यान्वयन हेतु 2023-24 में 30 करोड़ 16 लाख 65 हजार रुपये की निकासी एवं व्यय की स्वीकृति दी गई. वहीं कैबिनेट के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने बताया कि  परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत राज्य के 12 जिलों के सात सौ क्लस्टर(20 हेक्टेयर प्रति क्लस्टर) की 14 हजार हेक्टेयर में खेती हो रही हैं. जिसमें बेगुसराय,पटना,समस्तीपुर,बक्सर,सारण,कटिहार,भोजपुर,भागलपुर,खगड़िया,मुंगेर,वैशाली,एवं लखीसराय में गंगा किनारे स्थित पंचायतों में खेती की जाती है. 

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