बिहार में बक्सर धान का कटोरा कहा जाता है. लेकिन इस बार बारिश के अनुपात ने सबको चौंका दिया है. दरअसल धान का कटोरा कहे जाने वाले बक्सर क्षेत्र में बारिश नहीं होने कारण धान की फसलों को बचाना किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी हुई है. इस समस्या से किसानों को राहत दिलाने के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है. लेकिन प्रयास बहुत कारगर साबित नहीं हो रहा क्योंकि नहर से या पंप सेट से सिंचाई कर आखिर कब तक धान को बचाया जा सकता है. किसानों की शिकायत नहरी पानी को लेकर भी है. उनका कहना है कि नहर से पानी नहीं मिल रहा है जिससे धान की फसल चौपट हो रही है.
मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बक्सर के जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने बताया कि कम बारिश के कारण धान की फसल को बचाने के लिए जिला प्रसासन लगातार प्रयास कर रहा है. इसी को लेकर खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए नहरों में पानी बढ़ाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. धान की रोपनी पिछले साल के अनुपात के समान ही है. ऐसे में रोपनी का पूर्ण लक्ष्य पाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है.
बक्सर का शाहाबाद क्षेत्र धान का कटोरा कहा जाता है. इस क्षेत्र के लाखों हेक्टेयर में धान की फसल उगाई जाती है. ऐसे में इस बार मौसम में बदलाव के कारण धान की रोपनी करना अब किसानों के लिए भारी काम हो गया है. हालांकि जिला प्रशासन कृषि फीडर के माध्यम से लोगों को लगातार बिजली उपलब्ध करा रहा है. इससे किसान बिजली के माध्यम से अपनी फसल को बचाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं.
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बक्सर के जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि नहरों के पानी को टेलैंड तक पहुंचाने का भी प्रयास किया जा रहा है. किसानों की मानें तो जिला प्रसासन के द्वारा दी जा रही बिजली फसल नहीं बचा पा रही है. लोकल फॉल्ट के कारण पूरी बिजली नहीं मिल पाती है. ऐसे में किसान अपनी फसल को बचा नहीं पा रहे हैं. एक किसान विजय कहते हैं कि अब पूरी तरह से सुखाड़ आ चुका है. नहरों में पानी नहीं है जबकि सरकार का सहयोग नहीं मिल पा रहा. लगता है आगे भोजन पर भी लाले पड़ने वाले हैं.
बक्सर की स्थिति बिहार के कई इलाकों में है क्योंकि बारिश नहीं होने से पूरी तरह से सूखा पड़ गया है. पूरे सीजन में बहुत कम बारिश हुई है. यहां तक कि सरकार भी पूरे प्रदेश को सूखाग्रस्त घोषित कराने में लगी है. सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए डीजल अनुदान स्कीम शुरू की है, लेकिन उससे बहुत फायदा नहीं दिख रहा. किसानों का कहना है कि पंप सेट और नहर से सिंचाई कर धान को जिंदा नहीं रखा जा सकता. जब तक अच्छी बारिश नहीं होगी, तब तक धान की फसल नहीं होगी.(पुष्पेंद्र पांडेय की रिपोर्ट)
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