संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने लोकसभा चुनाव से पहले पेश हो रहे बजट में सभी फसलों के लिए सी2+50% फार्मूले के आधार पर एमएसपी घोषित करने की मांग की है. ताकि किसानों के साथ बड़े व्यापारियो, कॉरपोरेट और उनके बिचौलियों द्वारा की जाने वाली लूट को खत्म किया जा सके. संगठन ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम को किसानों के साथ धोखा बताते हुए कहा कि इसके तहत मिलने वाली 6000 रुपये की रकम से कहीं ज्यादा पैसे सी-2 आधार पर एमएसपी न मिलने की वजह से डूब रहे हैं. इसका गणित भी समझाया. एसकेएम ने कहा कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को याद दिलाना चाहता है कि बीजेपी के 2014 के चुनाव घोषणापत्र में यह लिखा गया था कि सत्ता में आने पर वो किसानों को सी2+50% के तहत एमएसपी देगा.
एसकेएम ने कहा कि यह पिछले दस वर्षों के शासन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए किसानों को दी गई "अपनी गारंटी" को पूरा करने का यह अंतिम मौका है. सही एमएसपी न देकर बहुप्रचारित पीएम किसान सम्मान निधि देना वास्तव में किसानों के साथ धोखा है. इसलिए किसानों को उनका हक दिया जाए. इस स्कीम के तहत 6000 रुपये देकर उससे कई गुना ज्यादा पैसे की किसानों के साथ लूट हो रही है. क्योंकि उन्हें उनकी उपज की सही लागत नहीं दी जा रही.
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संगठन ने कहा कि सरकार ने 2023-24 फसल वर्ष (जुलाई-जून) के लिए धान का एमएसपी 2,183 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. यह सी-2 की बजाय A-2+FL पर फार्मूले पर आधारित है. यानी किसान द्वारा लगाई गई लागत और परिवार के श्रम का मूल्य के आधार पर.
जबकि डॉ. एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग की वर्ष 2006 की सिफारिश के अनुसार, सी-2 का मतलब संपूर्ण लागत है, जिसमें A-2+एफएल लागत, स्वामित्व वाली भूमि का अनुमानित किराया मूल्य और निश्चित पूंजी पर ब्याज तथा पट्टे पर दी गई भूमि के लिए किया गया किराया भुगतान आदि शामिल किया जाता है.
अगर सरकार सी2+50% के अनुसार 2023-24 में धान की एमएसपी दे तो यह रकम 2866.50 रुपये होती है. यानी सरकार स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के मुकाबले किसानों को एमएसपी पर 683.50 रुपये प्रति क्विंटल कम पैसा दे रही है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार एमएसपी@सी2+50% फार्मूले पर लागू करती है, तो धान की औसत उत्पादकता 25 क्विंटल प्रति एकड़ और खरीद के लिए मंडी प्रणाली की मौजूदगी को देखते हुए, पंजाब के किसान को 17075 रुपये प्रति एकड़ (25 गुणा 683.5 रुपये प्रति क्विंटल) का लाभ होगा. यह मानते हुए कि किसान प्रति वर्ष दो फसलें लेते हैं, यह लाभ 34150 रूपये प्रति एकड़ होगा. इस प्रकार, पीएम किसान सम्मान निधि से प्रति वर्ष 6000 रुपये प्राप्त करने के बाद, पंजाब के किसानों को प्रति एकड़ प्रति वर्ष 28150 रुपये का नुकसान होता है.
पूर्वी उत्तर प्रदेश में, जहां खरीद के लिए कोई मंडी प्रणाली मौजूद नहीं है, किसानों को धान के लिए केवल 1800 रुपये प्रति क्विंटल मिलते हैं. यह एमएसपी@सी2+50% (= 2866.5 रूपये) से 1066 रुपये कम है. इस प्रकार सी-2 आधारित एमएसपी न मिलने के कारण उन्हें प्रति एकड़ औसतन 25 क्विंटल के उत्पादन पर 26650 रूपये का नुकसान हो रहा है. इस तरह प्रति वर्ष दो फसलों पर हुआ घाटा 53300 रुपये प्रति एकड़ प्रति वर्ष बैठता है. पीएम किसान सम्मान निधि से प्रति वर्ष 6000 रुपये प्राप्त करने के बाद, पूर्वी यूपी के किसानों को प्रति वर्ष 47300 रूपये प्रति एकड़ का नुकसान हो रहा है.
इन आंकड़ों को देकर एसकेएम ने कहा कि किसान प्रधानमंत्री से किसी विशेषाधिकार की नहीं, बल्कि एमएसपी@सी2+50% के अपने उचित अधिकार की मांग कर रहे हैं. अगर मोदी सरकार इस लेखानुदान में सभी फसलों की खरीद के साथ एमएसपी@सी2+50% घोषित नहीं करती, तो देश के किसान भी लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट नहीं देने की घोषणा करेंगे. एसकेएम पीएम मोदी को ऐतिहासिक किसान संघर्ष के साहसिक नारे 'नो फार्मर, नो फूड' (किसान नहीं, तो अन्न नहीं) की याद दिलाना चाहता है, प्रधानमंत्री को यह साबित करना होगा कि "9 दिसंबर 2021 के लिखित आश्वासन का सम्मान करते हुए मोदी की गारंटी लागू की जाएगी या नहीं. "
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