जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनावों में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं. सभी राजनीतिक दलों ने चुनावों के लिए कमर कस ली है. राजनीतिक उठापटक के बीच ही जम्मू कश्मीर की अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) की बढ़ती लोकप्रियता ने घाटी में राजनीतिक अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है. जेल में बंद राशिद इंजीनियर को कई राजनीतिक विशेषज्ञ उस किंगमेकर के तौर पर देखने लगे हैं जिनके बगैर घाटी में सरकार बनाना मुश्किल हो सकता है. राशिद को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ लेने की अनुमति मिली थी. उन्हें साल 2019 में टेरर फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
जहां घाटी में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सहयोगी हालिया लोकसभा चुनावों के बाद अपने करियर की संभावनाएं तलाश रहे हैं तो वहीं राशिद की पार्टी आम जनता के बीच पकड़ बना रही है. बीजेपी ने लोकसभा चुनावों में अल्ताफ बुखारी की जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी को समर्थन दिया था. लेकिन इसके एकमात्र उम्मीदवार अशरफ मीर, जो एक पूर्व मंत्री भी थे, करारी हारा का सामना करना पड़ा. श्रीनगर से मीर को 10 फीसदी से भी कम वोट शेयर मिला और उन्हें अपनी जमानत तक गंवानी पड़ी.
यह भी पढ़ें-उमर और महबूबा के बीच जुबानी जंग तेज, वंशवाद को लेकर दो पूर्व सीएम आमने-सामने
एक और नेता सज्जाद लोन की पार्टी का भी हाल कुछ ऐसा ही था. उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (JKPC) भी अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष करती दिख रही है. बारामुल्ला लोकसभा क्षेत्र में पार्टी का वोट शेयर 2019 के चुनाव में 22.65 फीसदी से गिरकर 16.75 फीसदी पर आ गया है. पार्टी के उम्मीदवार राजा एजाज अली को भी बुरी तरह से शिकस्त का सामना करना पड़ा था. लोकसभा चुनावों में राशिद ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हराया था. उन्होंने बारामूला से बड़ी जीत दर्ज की थी.
यह भी पढ़ें-सीएम नायब सिंह सैनी करनाल सीट से लड़ेंगे चुनाव, लाडवा से उम्मीदवारी के दावे को नकारा
जम्मू बीजेपी यूनिट के अंदर असंतोष और कश्मीर में मतदाताओं के रवैये के बाद रशीद को बड़ा फायदा मिल सकता है. विशेषज्ञों की मानें तो बीजेपी को जम्मू-कश्मीर के चुनावी गणित को भेदना मुश्किल हो सकता है. उनका मानना है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन चुनावों में सबसे बड़े ब्लॉक के रूप में उभरेगा. लेकिन यह गठबंधन जरूरी बहुमत से दूर रह सकता है. कुछ लोग मान रहे हैं कि राशिद की शानदार जीत के बाद पार्टी उनके साथ नरमी से पेश आ रही है.
यह भी पढ़ें-विस्थापित कश्मीरी वोटर्स के लिए सरकार ने बनाया हेल्पडेस्क, स्पेशल पोलिंग बूथ पर दे सकेंगे वोट
हाल के हफ्तों में एआईपी में नेताओं की संख्या में इजाफा हुआ है. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पूर्व सचिव और जेकेपीसी नेता के बेटे के अलावा निचले और मध्यम स्तर के राजनीतिक कार्यकर्ताओं और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के कार्यकर्ताओं का एक समूह हाल ही में राशिद की पार्टी में शामिल हुआ है. राशिद ने बारामुल्ला लोकसभा क्षेत्र के 21 विधानसभा क्षेत्रों में से 18 में बढ़त हासिल की है. वह किंगमेकर की भूमिका में सामने आ सकते हैं. विश्लेषकों का मानना है कि राशिद उभरते राजनीतिक घटनाक्रम कश्मीर में जनादेश को और अधिक खंडित करेंगे जो बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today