जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के चार बड़े नेताओं ने मोर्चा खोल दिया था. ये नेता टिकट बंटवारे को लेकर नाराज थे. इनमें जहां कुछ ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था तो कुछ ने पार्टी छोड़ने की धमकी दी थी. अब बीजेपी ने इन नेताओं को मनाने और इन्हें पार्टी में रखने के लिए एक नया रास्ता निकाला है. पार्टी ने इन नेताओं को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त कर दिया दिया है. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आदेश के बाद इन नेताओं को नई जिम्मेदारियां सौंप दी गई हैं.
बीजेपी अध्यक्ष नड्डा के आदेश के अनुसार, जम्मू पश्चिम के पूर्व विधायक सत शर्मा पार्टी की जम्मू-कश्मीर इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष होंगे, क्योंकि अध्यक्ष रवींद्र रैना खुद चुनाव लड़ने में व्यस्त हैं. डॉक्टर निर्मल सिंह को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष और सुख नंदन को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है. वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता को चुनाव प्रबंधन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. गौरतलब है कि चारों नेता खुद टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाया. ये नेता अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में काफी प्रभाव रखते हैं और माना जा रहा है कि पार्टी इसलिए ही बीजेपी इन्हें जाने नहीं देना चाहती थी.
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जम्मू कश्मीर में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को तीन चरणों में मतदान होगा. जबकि वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी. बीजेपी ने रविवार को उम्मीदवारों की छठी लिस्ट जारी की. पार्टी ने 10 उम्मीदवारों की नई लिस्ट में सीनियर लीडर और पूर्व डिप्टी सीएम कविंदर गुप्ता को उनकी गांधी नगर सीट से टिकट नहीं दिया. गांधी नगर में गुप्ता की जगह विक्रम रंधावा को मैदान में उतारा गया है जिसे अब परिसीमन के बाद बहू के नाम से जाना जाता है. इसी तरह से उधमपुर पूर्व से टिकट कटने पर प्रदेश उपाध्यक्ष पवन खजुरिया ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.
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बीजेपी ने जब पहली लिस्ट जारी की थी तो उस समय कई दावेदारों के नाम गायब थे. तब से ही पार्टी में बगावत की स्थिति है. कुछ नेता तो निर्दलीय के तौर पर अपनों के खिलाफ ही चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं. घाटी में 10 साल में पहली बार चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में सबकी नजरें इन विधानसभा चुनावों पर लगी हुई हैं. चुनावों से पहले कांग्रेस और फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने चुनाव से पहले गठबंधन को अंजाम दे दिया है. वहीं महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और बीजेपी की तरफ से अभी तक ऐसा कोई ऐलान नहीं हुआ है.
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