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विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र ने किसानों के लिए किया बड़ा फैसला, प्याज और बासमती की एमईपी खत्म

विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र ने किसानों के लिए किया बड़ा फैसला, प्याज और बासमती की एमईपी खत्म

प्याज औऱ बासमती चावल पर लगाए गए मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) की वजह से किसानों और एक्सपोर्टरों में सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा था. प्याज जहां महाराष्ट्र की प्रमुख फसल है, वहीं बासमती हरियाणा की प्रमुख फसल है. हरियाणा में विधानसभा चुनाव होपे वाले हैं जबकि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों का ऐलान जल्‍द हो सकता है. बताया जा रहा है कि इसलिए सरकार ने आनन-फानन में दोनों की एमईपी खत्म करने का एलान कर दिया है.

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सरकार ने प्‍याज पर लिया बड़ा फैसला सरकार ने प्‍याज पर लिया बड़ा फैसला

केंद्र सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. इस पर लगाए गए 550 डॉलर प्रति मीट्रिक टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) की शर्त को हटा दिया गया है. यानी अब भारत से प्याज किसी भी दाम पर एक्सपोर्ट किया जा सकता है. इसके साथ ही एक्सपोर्ट पर लगी 40 परसेंट की ड्यूटी को घटाकर 20 फीसदी कर दिया गया है. इसे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि प्याज के मुद्दे पर महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा और उसके सहयोगी पार्टियों को किसानों ने बड़ा झटका दिया था. इस समय भी उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक फैसले से प्याज उत्पादक किसानों में केंद्र सरकार के खिलाफ काफी गुस्सा है. ऐसे में उनकी नाराजगी दूर करने के लिए सरकार ने यह बड़ा दांव चला है.

प्याज के साथ-साथ केंद्र सरकार ने बासमती चावल को लेकर भी इसी तरह का फैसला लिया है. बताया गया है कि बासमती चावल पर लगी 850 डॉलर प्रति टन की एमईपी भी हटा ली गई है. पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के निदेशक अशोक सेठी ने इसकी पुष्टि की है. सरकार की तरफ से आधिकारिक आदेश जारी कर इसकी पुष्टि की गई है. इस निर्णय को हरियाणा विधानसभा से जोड़कर देखा जा रहा है. इस बार विधानसभा चुनाव में बासमती धान के दाम में कमी बड़ा मुद्दा बना हुआ है.

 

एक्सपोर्ट ड्यूटी और एमईपी कब लगी

केंद्र सरकार ने प्याज के दाम में कमी करने के लिए अगस्त 2023 में पहली बार 40 परसेंट एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई थी. जिसका पूरे महाराष्ट्र में जमकर विरोध हुआ था. किसानों और व्यापारियों ने मिलकर नासिक सहित प्रदेश की कई मंडियों को कई दिन तक बंद रखा था. जबकि 550 डॉलर प्रति टन की एमईपी वाली शर्त इस साल 4 मई को उसे समय लगाई गई थी जब सरकार ने लोकसभा चुनाव के वक्त एक्सपोर्ट बैन को खत्म किया था. 

अभी क्यों नाराज हैं किसान

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक फैसले ने वहां के किसानों को नाराज कर दिया है. मंत्रालय नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंड‍िया (एनसीसीएफ) और नेफेड के जरिए 5 सितंबर से 35 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर प्याज बिकवा रहा है. इससे किसानों में भारी गुस्सा है उनका कहना कि जब दाम कम होता है तब सरकार गायब हो जाती है.

किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए कभी सामने नहीं आती और जब दाम जरा सा बढ़ता है तब उसको कम करवाने आ जाती है. ऐसे में किसानों ने ऐलान किया है कि प्याज का दाम कम करने की इस कोशिश का चुनाव के वक्त सूद सहित बदला लिया जाएगा. समझा जा रहा है कि इसीलिए केंद्र सरकार ने एमईपी खत्म करने और एक्सपोर्ट ड्यूटी कम करने का यह बड़ा फैसला लिया है, ताकि देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक महाराष्ट्र के किसानों का गुस्सा शांत किया जा सके.

बासमती के दाम का मुद्दा

सरकार ने 25 अगस्त 2023 को बासमती का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस 1200 डॉलर प्रति टन फिक्स कर दिया था. इससे किसान और एक्सपोर्टर काफी परेशान थे, क्योंकि निर्यात पर बुरा असर पड़ रहा था. किसानों और निर्यातकों के भारी विरोध के बाद अक्टूबर 2023 में ही इसकी एमईपी को घटकर के 930 डॉलर प्रति टन कर दिया गया था. इसे भी घटाने की मांग लंबे समय से हो रही थी.

हरियाणा में कुछ समय बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में किसान, जवान और पहलवान के अलावा धान का दाम भी बड़ा मुद्दा बना हुआ है. हरियाणा प्रमुख बासमती उत्पादक राज्य है और यहां पर इस साल इसके धान का दाम पिछले साल के मुकाबले करीब 1200 रुपये प्रति क्विंटल कम है. ऐसे में एमईपी खत्म करने से बासमती धान का दाम बढ़ने का अनुमान है. इसका सत्तारूढ़ दल को लाभ हो सकता है.

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