योगी सरकार ने पंचगव्य चिकित्सा को नए आयाम पर ले जाने की तैयारी कर ली है. अब दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर से आयुर्वेदिक मंजन, मलहम और औषधियां बनाई जाएंगी. आयुष विभाग के सहयोग से बनने वाले इन उत्पादों को औपचारिक आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में शामिल किया जाएगा. साथ ही यह पूरी योजना गोपालकों और ग्रामीणों के लिए रोजगार का नया जरिया भी बनेगी. विशेषज्ञों के अनुसार गोमूत्र में मौजूद औषधीय गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. सरकार का दावा है कि पंचगव्य आधारित उत्पाद डायबिटीज और हृदय रोग समेत 19 प्रमुख बीमारियों में कारगर होंगे.
चर्म रोग, गठिया, मुंहासे, साइनस, दमा, पीलिया, पेट दर्द, तेज बुखार, एनीमिया, टॉन्सिल, हृदय रोग, सर दर्द, पालिप्स, डैंड्रफ, मधुमेह, गंजापन, अवसाद, रक्त विकार, दांत दर्द. उत्तर प्रदेश गोसेवा आयोग के ओएसडी डॉ अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि आयुष विभाग के सहयोग से पंचगव्य आधारित उत्पादों के निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाया जा रहा है. पंचगव्य का विशेष महत्व है और अब इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तैयार कर आमजन के लिए लाभकारी औषधियों के रूप में उपयोग में लाया जाएगा.
योगी सरकार की योजना है कि पंचगव्य से बनने वाले उत्पादों को आधुनिक अनुसंधान से जोड़कर प्रमाणिक बनाया जाए. इससे इन उत्पादों को व्यापक स्तर पर चिकित्सा पद्धति में स्थान मिलेगा.
इस योजना से जहां परंपरागत चिकित्सा को बल मिलेगा, वहीं गोपालकों, किसानों और ग्रामीण युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी प्राप्त होंगे. पंचगव्य उत्पादों की मांग बढ़ने से गोशालाओं की उपयोगिता भी बढ़ेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी.
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