यूपी में योगी सरकार बेसहारा गायों को गौशालाओं में बेहतर तरीके से रखने के हर संभव उपाय कर रही है. सरकार ने इस व्यवस्था को दुरुस्त बनाए रखने के लिए डिजिटल निगरानी तंत्र भी बनाया है. इसके लिए सरकार का एक खास पोर्टल भी मौजूद है. सरकार का दावा है कि इस पोर्टल के माध्यम से गौ आश्रय स्थलों में गायों के पोषण एवं रखरखाव पर नजर रखी जाती है. सरकार ने गौ आश्रय स्थलों में फंड की कमी न हो, इसके लिए इन्हें डीबीटी के माध्यम से भुगतान करने का भी फैसला किया है. इसके तहत गौ आश्रय पोर्टल के माध्यम से जुलाई माह का भुगतान किया जाएगा.
योगी सरकार ने यूपी में निर्माणाधीन और बन कर तैयार हो चुके गौ आश्रय स्थलों में गायों के भरण पोषण के लिए वित्तीय सहायता मुहैया कराने का काम डिजिटल माध्यम से करने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बताया गया कि गौ आश्रय पोर्टल के माध्यम से जुलाई माह के भरण पोषण के खर्च का भुगतान डीबीटी के जरिए किया जाएगा.
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विभाग की ओर से बताया गया कि यूपी में बेसहारा गायों को आश्रय की सुविधा मुहैया करा रही सरकारी एवं गैर सरकारी, सभी गौशालाओं को गो आश्रय पोर्टल से जोड़ा जा रहा है. इसके तहत अब तक 5919 आश्रय स्थलों से संबंधित हर तरह का डाटा गो- आश्रय पोर्टल पर अपलोड करके लॉक किया जा चुका है. इसका मकसद इन सभी गो आश्रय स्थलों में गायों के पोषण की निगरानी के अलावा डीबीटी से इन्हें भुगतान भी करना है.
इस प्रक्रिया को सुचारू बनाने से पहले संबद्ध विभागीय कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा. इसके लिए 5 जुलाई को मास्टर ट्रेनर की ट्रेनिंग होगी. वहीं, 07 जुलाई को सभी सम्बंधित खंड विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत, विकास अधिकारी और लेखपाल का प्रशिक्षण होगा. इसके बाद 10 जुलाई को डीबीटी प्रक्रिया से धनराशि हस्तांतरण की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी. इस बीच गो आश्रय स्थलों में सहभागी पक्षकारों के आधार फीडिंग अकाउंट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है.
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विभाग की ओर से बताया गया कि गौ आश्रय स्थलों को डीबीटी के माध्यम से भुगतान करने के लिए सभी का अलग अलग बैंक खाता होना जरूरी है. जिससे पारदर्शी तरीके से पैसा हस्तांतरित हो सके. इसके लिए ही सभी गो आश्रय स्थल संचालकों से आधार फीडिंग कराई जा रही है. लेकिन इस काम में कुछ जिले पिछड़ रहे हैं.
विभाग की ओर से मुख्य सचिव को बताया गया कि ललितपुर, चित्रकूट, झांसी, बुलंदशहर, जौनपुर, फर्रुखाबाद, मेरठ, जालौन, बहराइच और फतेहपुर जिलों में आधार फीडिंग का काम बहुत धीमे चल रहा है. वहीं, हापुड़, फिरोजाबाद, आगरा, बांदा एवं गोरखपुर में कई आश्रय स्थल एक ही एनजीओ के द्वारा संचालित हैं, इसलिए इनका बैंक खाता नंबर भी एक ही हैं. ऐसे संचालकों को प्रत्येक आश्रय स्थल के लिए अलग-अलग बैंक खाता खुलवाने के लिए कहा गया है. जिससे समय से इन्हें डीबीटी के माध्यम से गायों के पोषण की धनराशि भेजी जा सके.
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