आवारा गोवंश से सबसे अधिक परेशान किसान हैं. किसान दिन-रात फसलों की रखवाली करते हैं. यदि थोड़ी से चूक हुई तो आवारा पशु फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे किसानों की मेहनत नष्ट हो जाती है. सरकार ने हालांकि आवारा गोवंश के लिए गौशाला बनवाई है, फिर भी कुछ जगह ऐसी है जहां गौशाला की सुविधा नहीं है. इसी तरह का मामला इटावा जनपद के महेवा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम सब्दलपुर दाउदपुर का है. यहां के किसान छुट्टा जानवरों से परेशान हैं. परेशानी इतनी बढ़ गई कि यहां के ग्रामीण इटावा जिला अधिकारी कार्यालय के सामने कलेक्ट्रेट में भूख हड़ताल पर बैठ गए. इन किसानों की मांग है कि उनके गांव में गौशाला बनवाई जाए.
सब्दलपुर दाउदपुर गांव के लोगों की मांग है कि गौशला बनाकर उसकी देखरेख ग्राम पंचायत को सौंपी जाए जिससे कि उनकी फसल और उनके क्षेत्र के आवारा गोवंश से फसलों को बचाया जा सके. इस मांग को लेकर लगभग दो दर्जन से अधिक ग्रामीण भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं. इस धरने में धीरे-धीरे किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है क्योंकि छुट्टा पशुओं से परेशान किसानों की तादाद अधिक है.
धरने पर बैठे स्थानीय किसान चंद्र शेखर त्रिपाठी का कहना है कि गायों के अतिक्रमण से सभी लोग परेशान हैं. गांव की फसलों की जमीन बंजर पड़ी हुई है, किसान भूखा मर रहा है. इस समस्या को सुधारने के लिए वे कई अधिकारियों से मिल चुके हैं, लेकिन अभी तक इसका निराकरण नहीं निकला है. किसान चाहते हैं कि उनकी ग्राम पंचायत में गौशाला का निर्माण करवाया जाए और पंचायत को सौंपा जाए. चंद्र शेखर त्रिपाठी का कहना है, गांव के आसपास लगभग 10 किलोमीटर तक कहीं भी कोई गौशाला नहीं है. अधिकारियों से जब जब कहा गया तो टालमटोल करते हैं. यहां गांव में ढाई हजार बीघे से अधिक खेती जानवरों की वजह से बंजर पड़ी हुई है.
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किसान चंद्र शेखर त्रिपाठी कहते हैं, हजारों की संख्या में आवारा जानवर घूम रहे हैं, जबकि यहां गेहूं, आलू, बाजरा, सरसों और गन्ना की पैदावार होती है. छुट्टा जानवरों से ये सभी फसलें प्रभावित हैं. दूर की गौशालाओं में आवारा गोवंश भेजते हैं तो वे लोग नहीं रखते. जब तक समस्या का निराकरण नहीं होगा, तब तक गांव के किसान भूख हड़ताल पर बैठें रहेंगे.
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एम के गुप्ता ने कहा कि गांव के लोग गौशाला की डिमांड कर रहे हैं, अगर ऐसा होता है उनकी समस्या का निदान हो सकता है. डॉ. गुप्ता ने कहा, मेरी जानकारी के अनुसार बहादुरपुर और चकरनगर में गौशाला है. यह लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर है. पास की सभी गौशाला क्षमता के अनुरूप भरी हुई है. इसके लिए गौशाला का निर्माण करना ही पड़ेगा. ग्रामीणों से अनुरोध है कि वे अपने क्षेत्र की गायों को छोड़ना बंद करें अन्यथा यह समस्या कभी खत्म नहीं होगी. पास में मध्यप्रदेश का बॉर्डर है, आवारा गोवंश इधर छोड़ दिए जाते हैं और कोई पहचान भी उनकी नहीं की जा सकती है.(रिपोर्ट/अजीत तिवारी)
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