World’s Most Expensive Cow: देश में प्राचीन काल से पशुपालन व्यवसाय होते आ रहा है. वहीं खेती और पशुपालन आज भी गांव में रहने वाले लोगों का मुख्य व्यवसाय है. पशुपालन का व्यवसाय तो अब गांव के दायरे से बाहर निकलकर शहरों तक भी पहुंच गया है. इस व्यवसाय पर विशेष ध्यान दिया जाए तो अच्छा-खासा मुनाफा भी कमाया जा सकता है. देश में गाय को गौ माता भी माना जाता है. इस वजह से देश में गायों का बहुत सम्मान है. वहीं गायों की कई भारतीय नस्लें व्यावसायिक दृष्टिकोण से बेहद खास हैं. उनकी कीमत लाखों में हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे महंगी गाय भारत में नहीं, बल्कि ब्राजील में है? ऐसे में आइए आज हम आपको दुनिया की सबसे महंगी गाय के बारे में बताते हैं जो नेलोर नस्ल की है और ये गाय इतनी महंगी है कि उतनी कीमत में आप कई किलों सोना खरीद सकते हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नेलोर नस्ल की साढ़े 4 साल की गाय वियाटिना-19 एफआईवी मारा इमोविस (Viatina-19 FIV Mara Imoveis) दुनिया की सबसे महंगी गाय है. जोकि ब्राजील में है. यहां पर इस नस्ल की सैकड़ों गायें हैं. रिपोर्ट के मुताबिक गाय के मालिकाना हक का एक-तिहाई हिस्सा हाल ही में ब्राजील के अरंडू में एक नीलामी में 6.99 मिलियन रियल ($1.44 मिलियन) यानी 11 करोड़ रुपयों में बेचा गया, जिससे इसकी कुल कीमत 4.3 मिलियन डॉलर यानी करीब 35 करोड़ रुपये हो गई.
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गौरतलब है कि वियाटिना-19 एफआईवी मारा इमोविस को पिछले साल दुनिया की सबसे महंगी गाय नॉमिनेटेड किया गया था, जब इसके मालिकाना हक का आधा हिस्सा लगभग 800,000 डॉलर (6 करोड़ रुपये) में नीलाम किया गया था, जो उस समय एक रिकॉर्ड तोड़ कीमत थी.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नेलोर नस्ल की गाय वियाटिना-19 एफआईवी मारा इमोविस गाय का भारत से खास संबंध है. दरअसल, गाय की इस नस्ल का नाम नेलोर नस्ल की गाय पर पड़ा है जोकि ज्यादातर आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में पाई जाती हैं. यहां से इस नस्ल को ब्राजील भेजा गया था और फिर ये दुनिया के अन्य हिस्सों में भी फैल गई. सिर्फ ब्राजील में इस नस्ल की लगभग 16 करोड़ गायें मौजूद हैं.
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नेलोर नस्ल की गाय की सबसे बड़ी खासियत यह है कि गर्म मौसम में आसानी से रह लेती है. इसमें सबसे बड़ा रोल गायों की सफेद फर का होता है, क्योंकि सफेद फर धूप को रिफ्लेक्ट कर देते हैं. नतीजतन, गाय को गर्मी नहीं लगती. इस गाय की रोग प्रतिरोशक क्षमता भी बेहतरीन होती है. इसके अलावा त्वचा कठोर होने की वजह से इन पर त्वचा से खून-चूसने वाले कीड़े भी नहीं काटते हैं.
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