एक समय था जब गांव के किसान पशुपालन कर अतिरिक्त आय कमा कर अपना गुजारा करते थे लेकिन समय के साथ पशुपालन तगड़ा मुनाफा कमाने का कारोबार बन गया. ग्रामीण क्षेत्रों से बाहर शहरी क्षेत्रों में भी लोग बड़े पैमाने में पशुपालन कर खूब कमा रहे हैं. वैसे तो देश में कई तरह के पशु-पक्षी पालकर कमाई की जा रही है लेकिन आज भी दुधारू पशु पालना लोगों को आसान लगता है. कमाई के लिहाज से भी दुधारू पशुओं को पालना फायदेमंद रहा है यही कारण है कि लोग डेयरी फार्मिंग पर अधिक जोर दे रहे हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ पशुपालक ऐसे भी हैं जिनकी शिकायत है कि डेयरी फार्मिंग करके भी उन्हें कोई खास लाभ नहीं मिला. अगर आप डेयरी फार्मिंग की शुरुआत करना चाहते हैं तो पशु खरीदने से पहले जरूरी बातें जान लीजिए, तभी आपको इस व्यापार से मनमुताबिक फायदा होगा.
डेयरी की शुरुआत करने से पहले लोग अच्छा बजट बनाते हैं और सीधे पशु खरीद कर पाल लेते हैं. कई बार पशु खरीदने के बाद पशुपालकों को नुकसान भी उठाना पड़ता है क्योंकि नए लोगों को पशुओं से जुड़ी जरूरी बातें नहीं पता होती हैं. पशु खरीदने वाले तीन खास बातों पर अमल करें तभी लाभ उठा पाएंगे.
ज्यादातर पशुपालक गाय या भैंस खरीदते समय केवल उन्नत नस्लों के पीछे जाते हैं. अच्छी नस्ल के पशु खरीदने से पहले ये भी देखें कि पशु बीमार या संक्रमित तो नहीं है. ये जांचने के लिए पशुओं को खाना खिलाएं अगर वो सामान्य तरीके से जुगाली कर रहे हैं तो वे स्वस्थ हैं. इसके अलावा उनकी आंख या नाक से पानी या मुंह से लार बह रहा है तो भी पशु ना खरीदें.
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गाय-भैंस खरीदते समय उनके स्वभाव की जांच करना बहुत जरूरी है. कुछ पशु दुहते समय लात मारते हैं, इसलिए खरीदने से पहले खुद दूध दुहें और जांचें. इसके अलावा अधिकांश गाय-भैंस एक हथी हो जाती हैं. मतलब किसी एक व्यक्ति के हाथों से दुहने पर ही दूध देती हैं, इसलिए भी खरीदने से पहले खुद से दुहना जरूरी है. उन्हें सहलाएं अगर सामान्य व्यवहार ना करें तो ना खरीदें.
अधिकांश पशुपालक पहली बार गाभिन हुई गाय या भैंस खरीदना चाहते हैं ताकि उन्हें लंबे समय तक पाल सकें जो कि गलत है. पहले ब्यांत पर गाय या भैंस के दूध देने की क्षमता और दुहते समय उनके स्वभाव का अंदाजा नहीं लग पाता है. इसलिए कोशिश करें कि दूसरे या तीसरे ब्यांत वाले पशु खरीदें. दूसरे या तीसरे ब्यांत के पशु पूरी क्षमता के साथ दूध देते हैं.
पशु खरीदने के बाद उनकी नियमित देखभाल करना बहुत जरूरी होता है. पशुओं को भूखा ना रखें और उन्हें तीन बार खाना देने का समय निश्चित करें. पशुओं को कभी भी कुछ भी नहीं खिलाना चाहिए. पशुओं को चारा या भूसा हमेशा ताजा दें. उसमें किसी भी तरह की दुर्गंध नहीं आनी चाहिए नहीं तो पशु बीमार हो जाते हैं. कुछ लोग रात का बचा हुआ खाना पशुओं को खिला लेते हैं. बासी खाना देने से भी कई बार पशुओं का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है.
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