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झींगा शौचालय से मिलती है स्मार्ट उपज, आंध्र के इस किसान ने कमाया तगड़ा मुनाफा

झींगा शौचालय से मिलती है स्मार्ट उपज, आंध्र के इस किसान ने कमाया तगड़ा मुनाफा

नागराजू सेमी ऑर्गेनिक, रोग-मुक्त और एंटीबायोटिक-मुक्त झींगा पैदा करने के लिए उन्नत तकनीक और चीजों का उपयोग करते हैं. इस नई तकनीक को अपनाकर उन्हें और उनके क्षेत्र के दूसरे किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है. वह नई तकनीकों का उपयोग करके झींगा पालन जारी रखना चाहते हैं.

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क्या है झींगा शौचालय का महत्व क्या है झींगा शौचालय का महत्व

क्या है झींगा शौचालय तकनीक

दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में जैविक कचरे को बनाने के लिए गड्ढों का इस्तेमाल किया जाता है. गड्ढे को तैयार कर उसमें कचरा जमा किया जाता है और फिर जैविक खाद बनाया जाता है. इस तकनीक की ओर जब भारत और बांग्लादेश का ध्यान गया तो इन देशों ने इस तकनीक का इस्तेमाल झींगा मछली पालन के लिए किए और इसका नाम झींगा शौचालय रख दिया. इसके लिए तालाब के कुल सतह क्षेत्र का लगभग 5-7 प्रतिशत उपयोग किया जा रहा है. झींगा शौचालय बनाने के लिए तालाब का आकार लगभग 1000-5000 वर्ग मीटर होना चाहिए. तालाब के तल का ढलान केंद्र की ओर होना चाहिए, ताकि अपशिष्ट पदार्थ केंद्र की ओर 2-3 फीट गहरे गड्ढे में एकत्र हो जाएं.

इस कचरे को हर सप्ताह साइफनिंग मोटर के माध्यम से बाहर निकाला जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को झींगा शौचालय का नाम दिया गया है. इस तकनीक की मदद से आज आंध्र के किसान स्मार्ट उपज कर तगड़ा मुनाफा कमा रहे हैं. क्या है इनके सफलता की कहानी आइए जानते हैं. 

वन्नामी कृषि में नई तकनीकों से हुए प्रेरित

नागराजू आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के ओगिराला गांव के हैं. नागराजू ने बी.एससी. में ग्रेजुएशन किया है और वन्नामेई कृषि यानी झींगा मछली पालन शुरू करने से पहले एक कृषि किसान थे. मत्स्यपालन विभाग के ग्राम मात्स्यिकी सहायक द्वारा किए गए शोध ने उन्हें वन्नामी कृषि में नई तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया और वर्ष 2020 में उन्होंने 4 हेक्टेयर वन्नामेई कृषि फार्म में 24 टन प्रति फसल उत्पादन क्षमता के साथ "झींगा शौचालय" की तकनीक का उपयोग करना शुरू कर दिया. उसने 10 लाख रुपये की कुल परियोजना लागत का निवेश खुद किया था.

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प्रदूषित जगह के कारण झींगा के प्रजनन पर प्रभाव

आम तौर पर, तालाब के तल पर कीचड़ के कारण बने प्रदूषित वातावरण से झींगा प्रभावित होता है. प्रभावित झींगे फीड नहीं लेते हैं और बदले में कमजोर हो जाते हैं. वे विभिन्न वायरस और वायरल रोगों से बीमार हो जाते हैं. इससे कृषि फार्मों में बीमारी का प्रकोप होता है जिसके परिणामस्वरूप झींगा की मृत्यु होती है और नुकसान होता है. इस समस्या से निपटने के लिए उन्होंने झींगा शौचालय तकनीक को अपनाया. इसके द्वारा नीचे के कीचड़ को केंद्रीय गड्ढे में एकत्र किया जा सकता है और कीचड़ मोटर द्वारा बाहर निकाला जा सकता है. इस प्रकार, झींगा प्रदूषित वातावरण से बीमार नहीं होते हैं और इससे उनकी वृद्धि और भोजन सेवन बढ़ जाता है. उन्होंने इस काम में 5 पुरुषों और 2 महिलाओं को भी रोजगार दिया. साल 2021-22 के दौरान, उन्होंने 48 टन का औसत वार्षिक उत्पादन किया जिससे उन्हें 33.5 लाख रुपये का औसत शुद्ध लाभ हुआ. 

उन्नत तकनीकों का कर रहे उपयोग 

नागराजू सेमी ऑर्गेनिक, रोग-मुक्त और एंटीबायोटिक-मुक्त झींगा पैदा करने के लिए उन्नत तकनीक और चीजों का  उपयोग करते हैं. इस नई तकनीक को अपनाकर उन्हें और उनके क्षेत्र के दूसरे किसानों को अच्छा लाभ मिल रहा है. वह नई तकनीकों का उपयोग करके झींगा पालन जारी रखना चाहते हैं. उनके फार्म पर, मत्स्य पालन विभाग, आंध्र प्रदेश "मत्स्य सागु बड़ी" कार्यक्रम (किसानों के लिए कृषि तकनीकों पर आयोजित एक कार्यक्रम) आयोजित करता है. इससे आसपास के किसान समृद्ध हुए हैं. एक्वाकल्चर प्रणालियों को अपने अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने और अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए इस तकनीक का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है.

तालाब में झींगा शौचालय का महत्व

तालाबों में झींगा शौचालय महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे पानी की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करते हैं, जो झींगा के स्वास्थ्य और विकास के लिए आवश्यक है. झींगा अपशिष्ट और अन्य कार्बनिक पदार्थ उत्पन्न करता है, जो तालाब में जमा हो सकता है और समय के साथ पानी की गुणवत्ता को ख़राब कर सकता है. इससे झींगा की ख़राब वृद्धि, बीमारी और यहाँ तक कि मृत्यु भी हो सकती है.

झींगा शौचालयों को तालाब के केंद्र से अपशिष्ट और अन्य कार्बनिक पदार्थों को हटाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. आदर्श आकार तालाब के कुल क्षेत्रफल का 5-10% होगा. इस कचरे को कीचड़ पंप द्वारा तालाब से आसानी से हटाया जा सकता है, जिससे इसे जमा होने और पानी को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है.

अपशिष्ट हटाने के अलावा, झींगा शौचालय तालाब में पोषक तत्वों के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकते हैं. नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व का स्तर पानी में बढ़ सकता है और अत्यधिक शैवाल की वृद्धि का कारण बन सकता है, जिससे ऑक्सीजन की कमी और अन्य समस्याएं हो सकती हैं. झींगा शौचालय कार्बनिक पदार्थों को विघटित होने और पानी में पोषक तत्वों को छोड़ने का मौका मिलने से पहले हटाकर इन पोषक तत्वों के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं.