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रेस्क्यू ऑपरेशन में बचाया गया लकड़बग्घा, इस तरह खतरे में पड़ी थी जिंदगी

रेस्क्यू ऑपरेशन में बचाया गया लकड़बग्घा, इस तरह खतरे में पड़ी थी जिंदगी

लकड़बग्घे को सुरक्षित रूप से बचाने में करीब एक घंटे का समय लगा और फिर उसका ट्रीटमेंट और चैकअप करने के बाद उसे प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया है.विशेष रेस्क्यू उपकरणों से लैस, वाइल्डलाइफ एसओएस की तीन सदस्यीय टीम इस चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू मिशन को संभालने के लिए बताए गए स्थान पर पहुंची थी.

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वाइल्डलाइफ एसओएस ने खतरे में पड़े लकड़बग्घे को बचाया वाइल्डलाइफ एसओएस ने खतरे में पड़े लकड़बग्घे को बचाया

वन विभाग और वाइल्ड लाइफ एसओएस ने संयुक्त रेस्क्यू ऑपरेशन में एक लकड़बग्घे को बचाया है. लकड़बग्घा मादा है. उसकी उम्र 5 साल है. लकड़बग्घे को सुरक्षित रूप से बचाने में करीब एक घंटे का समय लगा और फिर उसका ट्रीटमेंट और चैकअप करने के बाद उसे प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया है. दरअसल पलोखरा के किसानों ने खेती के क्षेत्र में तार की बाड़ में फंसी हुई मादा लकड़बग्घा को देखा तो उन्होंने इसकी सूचना तत्काल निकटतम उत्तर प्रदेश वन विभाग को दी, जिन्होंने सहायता के ल‍िए वाइल्डलाइफ एसओएस से उनकी आपातकालीन हेल्पलाइन (+91 9917109666) पर संपर्क किया. 

इसके बाद वाइल्डलाइफ एसओएस और उत्तर प्रदेश वन विभाग ने संयुक्त रूप से चलाये गए बचाव अभियान में लकड़बग्घे को बचा ल‍िया. विशेष रेस्क्यू उपकरणों से लैस, वाइल्डलाइफ एसओएस की तीन सदस्यीय टीम इस चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू मिशन को संभालने के लिए बताए गए स्थान पर पहुंची थी. टीम ने धीरे-धीरे जानवर के गर्दन के चारों ओर जकड़ते हुए तारों को काट कर उसे मुसीबत से बाहर निकाला. 

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लकड़बग्घे की सेहत की जांच की गई 

उसे छुड़ाने के बाद एनजीओ की पशु चिकित्सा टीम ने लकड़बग्घे का स्थान पर ही चिकित्सकीय परीक्षण किया. रिलीज़ के लिए स्वस्थ पाए जाने पर, जानवर की स्वतंत्रता और कल्याण को सुनिश्चित करते हुए उसको वापस उसके प्राकृतिक आवास में फिर से रिहा कर दिया गया. वाइल्डलाइफ एसओएस के सह संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण  ने कहा उत्तर प्रदेश वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस के बीच साझेदारी, वन्यजीवों की रक्षा में महत्वपूर्ण है. 

तारबंध हैं जंगली जानवरों के ल‍िए खतरा 

गांवों के आस-पास तारबंध जैसी समस्याएं जंगली जानवरों के लिए एक सामान्य खतरा हैं इसलिए हमारी टीम हमेशा चौकन्ना रहती है जिससे किसी भी आपातकालीन स्थिति में जानवरों को रेस्क्यू करने में कोई कमी न रह जाए. वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजुराज एम.वी. ने कहा क‍ि हमारी टीम जब बताए हुए स्थान पर पहुंची तो लकड़बग्घा मुसीबत में था. 
एक विस्तृत मेडिकल जांच में पता चला क‍ि उसे कोई चोट नहीं आई है, उसके बाद उसे सफलतापूर्वक जंगल में छोड़ दिया गया.1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित, इंडियन स्ट्राइप हायना (लकडबग्घा) भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली लकड़बग्घों की एकमात्र प्रजाति है और इसे इसकी मोटे जटिल बाल की झालर और लंबी पट्टियों से पहचाना जाता है.

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