भारत में जुगाली करने वाले पशुओं का आहार मुख्यत अलग-अलग श्रेणी के चारे से मिलकर बना होता है, लेकिन देश में ज्यादातर पशुपालक अपने पशुओं को भरपूर पोषण नहीं देते हैं. ऐसे में पशुओं का शारीरिक विकास रुक जाता है. साथ ही पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी आ जाती है, इसलिए पशुपालकों को पशु आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि पशु स्वस्थ रहे और उसका दूध उत्पादन प्रभावित न हो. संतुलित आहार पशुओं के लिए बेहद जरूरी है.
संतुलित आहार पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता को तो बढ़ाता ही साथ पशुओं के स्वस्थ भी रखता है. आइए जानते हैं. क्या है संतुलित मिश्रित पशु आहार जिससे बढ़ता है दूध उत्पादन और उसे बनाने की है विधि.
आमतौर पर पशुपालक अपने पशुओं को सूखा चारा, हरा चारा, दलिया, गुड़ समेत तिलहनी फसलों की खली आदि खिलाते हैं. इनमें मौजूद कार्बन, प्रोटीन, वसा कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण और विटामिन से पशुओं को अच्छी क्वालिटी का दूध देने, स्वस्थ रहने और फुर्ती से काम करने में मदद मिलती है. पशुओं के पौष्टिक आहार को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व डालकर सही तकनीक से बनाना चाहिए, जिससे पशुओं की सेहत ठीक रहे और दूध का बेहतर उत्पादन मिल सके.
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पशु विशेषज्ञों के मुताबिक, देसी गायों के संतुलित आहार में 10 किलो मूंगफली, सरसों या सोयाबीन की खली के साथ-साथ गेहूं, मक्का या जौ का दाना 10 किलो, चोकर या दलिया 05 किलो, दालों की छिलके एक से दो किलो. इसके अलावा खनिज लवण के साथ 20-30 ग्राम विटामिन-Aऔर D-3 आदि को शामिल करें. उसके बाद पशु आहार बनाने के लिए सबसे पहले तिलहनी फसलों की खली को बारीक कूटकर चूरी बना लें. खली के बारीक मिश्रण में मक्का, गेहूं या जौ के दलिया के साथ चोकर और दालों के छिलकों को डालकर मिला दें. पशुओं के बेहतर पाचन के लिए इसमें खनिज लवण और नमक भी डालें. इस मिश्रण को ठीक प्रकार से मिलाएं और एक बैग में भरकर रख लें. अब इस पशु आहार को सूखे चारे के साथ मिलाकर मवेशियों को देते रहें, इससे पशुओं के पोषण और अच्छे दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होगी.
पशुओं को यह संतुलित आहार खिलाने से बहुत फायदा होता है. इस आहार को खिलाने से गाय-भैंस अधिक समय तक दूध देते हैं. पशुओं को यह काफी स्वादिष्ट और पौष्टिक लगता है और बहुत जल्दी पच जाता है. यदि देखा जाए तो यह खली, बिनौला या चने से सस्ता पड़ता हैं. इससे पशुओं का स्वास्थ्य ठीक रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. इसी के साथ बीमारी से बचने की क्षमता प्रदान करता हैं और इससे पशु के दूध और घी में बढ़ोतरी होती है.
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