अमेरिका ने भारत के जमे हुए (फ्रोजन) झींगा किसानों को बड़ा झटका दिया है. हालांकि अमेरिका इसकी ताक में बीते एक साल से लगा हुआ था. 10 अक्टूबर 2023 में भी इस तरह की खबरें सामने आईं थी कि अमेरिका एंटी डंपिंग या इसी तरह की दूसरी डयूटी लगा सकता है. लेकिन अब मौका मिला तो फौरन ही झींगा पर काउंटरवेलिंग ड्यूटी (CVD) लगा दी है. 5.75 फीसद सीवीडी लगाई गई है. झींगा एक्सपर्ट और झींगा उत्पादक किसान डॉ. मनोज शर्मा का कहना है कि हालांकि झींगा एक्सपोर्ट करने में पूरी एक चेन काम करती है. प्रोसेसिंग यूनिट भी इसमे शामिल है. लेकिन अमेरिका के इस कदम की मार घुमा-फिराकर झींगा उत्पादक किसान पर ही पड़नी है.
भारत में तो उसकी जेब ही काटी जाएगी. जबकि पहले से ही झींगा किसान सही दाम ना मिलने से परेशानी में है. ऊपर से ये एक और परेशानी आ गई. हालांकि अमेरिका ने इक्वाडोर, इंडोनेशिया और वियतनाम पर एंटी डंपिंग डयूटी लगाई है. अब इसके चलते एक बार फिर इंटरनेशनल मार्केट में रेट को लेकर मारामारी शुरू हो जाएगी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के वाणिज्य विभाग (DOC) ने भारत से अमेरिका को एक्सपोर्ट होने वाले फ्रोजन झींगा पर दूसरे देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा डयूटी लगाई है. हालांकि दूसरे देशों पर एंटी डंपिंग डयूटी लगाई है तो भारत पर सीवीडी लगाई है. रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने इक्वाडोर पर 3.75 फीसद एंटी डंपिंग डयूटी तो इंडोनेशिया पर 2.84 फीसद और वियतनाम पर 1.3 फीसद एंटी-डंपिंग डयूटी लगाई गई है. वहीं भारत पर 5.75 फीसद सीवीडी लगाई गई है. गौरतलब रहे भारत और इक्वाडोर झींगा एक्सपोर्ट करने वाले दो बड़े देश हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका को सबसे ज्यादा भारत और इक्वाडोर झींगा एक्सपोर्ट करते हैं. भारत से अमेरिका को 2.9 बिलियन डॉलर (300 करोड़ डॉलर) का झींगा एक्सपोर्ट होता है. बीते कुछ वक्त से अमेरिका में भारतीय झींगा के दाम भी कम हो गए हैं. साल 2021-22 में एक किलो भारतीय झींगा की कीमत 8.57 डॉलर थी, जो अब घटकर 7.4 डॉलर प्रति किलोग्राम रह गई है.
झींगा किसान डॉ. मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि एंटी डंपिंग और काउंटर वेलिंग डयूटी अपने देश के किसान या व्यापारियों को नुकसान से बचाने के लिए लगाई जाती है. जबकि अमेरिका में झींगा होता नहीं है.
काउंटर वेलिंग डयूटी तब लगाई जाती है जब इंपोर्ट (खरीद) करने वाले देश को ये पता हो कि बेचने वाले के देश में सरकार इस प्रोडक्ट पर सब्सिबडी या दूसरी तरह की राहत दे रही है. जबकि हमारे देश के झींगा किसानों को किसी भी तरह की सब्सिरडी नहीं मिल रही है. झींगा एक्सपोर्ट में जो दूसरे लोग जुड़े हुए हैं उन्हें सरकार से झींगा के नाम पर स्कीमों का फायदा मिल रहा है.
भारत और इक्वाडोर से अमेरिका को झींगा की अच्छी खासी सप्लाई हो रही है, इसी का वो फायदा उठाकर बेवजह की डयूटी लगा रहा है. क्योंकि हमारे देश में 10 लाख टन से ज्यादा झींगा का उत्पादन होता है. हम सात से आठ लाख टन एक्सपोर्ट करते हैं. झींगा पूरी तरह से एक्सपोर्ट पर निर्भर है. इससे बचने के लिए हमे देश में आज नहीं तो कल झींगा का घरेलू बाजार तैयार करना ही होगा.
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