अभी आधा अप्रैल ही बीता है और गर्म हवाएं चलना शुरू हो गई हैं. धूप में भी तेजी महसूस की जा रही हैं. मई आते-आते तापमान 45 डिग्री को भी पार कर जाता है. लू वाली तेज गर्म हवाएं चलने लगती हैं. ऐसे में इंसान ही नहीं पशुओं को भी हीट स्ट्रैस और डिहाइड्रेशन के चलते खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसके चलते पशुपालकों को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है. कई बार तो हीट स्ट्रैस और डिहाइड्रेशन के चलते पशुओं की मौत तक हो जाती है. लेकिन, सिर्फ पानी पिलाकर पशुओं की इन दो बड़ी परेशानियों को कंट्रोल किया जा सकता है.
लेकिन उसके लिए जरूरी है कि पानी कब, कैसा और किस तरह से पिलाया जाए. अगर एनिमल एक्सपर्ट की सलाह पर पानी पिलाने के तरीकों पर गौर किया तो पशुओं का दूध उत्पादन भी कम नहीं होगा और पशुओं के बीमार पड़ने पर इलाज में पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ेगा. एक्सपर्ट की मानें तो गर्मियों में पानी की कमी के चलते पशुओं को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है.
जब पशुओं में पानी की कमी हो जाती है तो कई तरह के लक्षण से इसे पहचाना जा सकता है. जैसे पशुओं को भूख नहीं लगती है. सुस्ती और कमजोर हो जाना. पेशाव गाढ़ा होना, वजन कम होना, आंखें सूख जाती हैं, चमड़ी सूखी और खुरदरी हो जाती है और पशुओं का दूध उत्पादन भी कम हो जाता है. और सबसे बड़ी पहचान ये है कि जब हम पशु की चमढ़ी को उंगलियों से पकड़कर ऊपर उठाते हैं तो वो थोड़ी देर से अपनी जगह पर वापस आती है.
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