भारत में खेती-बाड़ी के बाद पशुपालन का रोजगार बड़े पैमाने पर किया जाता है. जिस वजह से यहां की आर्थिक स्थिति बहुत हद तक पशुपालन पर भी निर्भर है. खासकर ग्रामीण इलाकों की बात करें तो यहां आज भी पशुपालन कर बड़ी संख्या में लोग अपना जीवनयापन कर रहे हैं. जिस वजह से इसे आय का एक बेहतर स्रोत माना जाता है. लेकिन अगर दुधारू पशुओं में दूध की कमी होने लगे तो इसका नुकसान पशुपालकों को उठाना पड़ता है. इस नुकसान से बचने के लिए पशुपालक अपने पशुओं को यूरिया वाला भूसा खिला सकते हैं. क्या है यूरिया वाला भूसा आइए जानते हैं.
गर्मी के मौसम में गाय और भैंसों का दूध उत्पादन शुरू हो जाता है. दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन को औसत से बेहतर बनाए रखने के लिए पशुओं को शाम के समय चारा-पानी करने के बाद 200 से 300 ग्राम सरसों का तेल और 250 ग्राम गेहूं के आटे का मिश्रण खिलाना चाहिए. दवा को भोजन के दौरान या भोजन के तुरंत बाद पानी के साथ नहीं दिया जाना चाहिए. इस घरेलू नुस्खे का इस्तेमाल करने से 7-8 दिनों में ही दूध का उत्पादन बढ़ जाएगा. साथ ही पशुओं को यूरिया वाला भूसा खिलाने की भी सलाह दी जाती है.
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यदि हरा चारा पर्याप्त मात्रा में न हो तो यूरिया उपचारित सूखा चारा दूध उत्पादन के लिए अच्छा विकल्प है. उपचार के बाद सूखे चारे में प्रोटीन की मात्रा 3-4 प्रतिशत से बढ़कर 7-8 प्रतिशत हो जाती है. उपचारित चारा खिलाने से पशुओं के पेट में सूक्ष्मजीवों की सक्रियता एवं संख्या में वृद्धि होती है. उपचारित रेशे में रेशा मुलायम एवं लचीला हो जाता है तथा इसकी पाचनशक्ति बढ़ जाती है. उपचारित भूसा खिलाने से पशुओं की जीवन संबंधी सभी आवश्यकताएं आसानी से पूरी हो जाती हैं. इसके अलावा दुधारू पशुओं से लगभग 3 लीटर दूध प्राप्त किया जा सकता है. इसके ऊपर 2-2.5 लीटर दूध पर 5-6 कि.ग्रा. हरा चारा (फलियां-गैर-फलियां, 50:50) या 1 कि.ग्रा. संतुलित अनाज मिश्रण खिलायें.
100 कि.ग्रा. सामान्य भूसे या सूखे फसल अवशेषों को 4 कि.ग्रा. यूरिया से उपचारित करें. 4 कि.ग्रा. यूरिया को 50 लीटर पानी में घोल लें और 100 कि.ग्रा. भूसे पर अच्छी तरह छिड़क कर मिला लें. उपचारित भूसे को पैर से दबाकर पक्के फर्श या पालीथीन के चादर पर चट्टे के रूप में ढेर बना लें जिससे बीच की हवा निकल जाय फिर इसे अच्छी तरह ढ़ककर छोड़ दें. जिससे अमोनिया गैस बाहर न निकल सके. भूसा गीला होने पर भी यूरिया से उत्पन्न अमोनिया जैसे क्षार की उपस्थिति में खराब नहीं होता है. उपचारित चारे का प्रयोग गर्मी में उपचार के 7-10 दिन बाद और ठंड में 10-15 दिन बाद शुरू किया जा सकता है. खिलाने के लिए आवश्यकतानुसार उपचारित भूसा बाहर निकालें. इसे कुछ समय के लिए खुला छोड़ दें.
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