Milk Facts: गाय-भैंस का नहीं, सबसे महंगा बिकता है इस जानवर का दूध, 5000 से 7000 रुपये तक है कीमत

Milk Facts: गाय-भैंस का नहीं, सबसे महंगा बिकता है इस जानवर का दूध, 5000 से 7000 रुपये तक है कीमत

भारत में गधी का दूध सबसे महंगा इसलिए है क्योंकि यह दुर्लभ है, कम मात्रा में मिलता है, इसकी मांग लगातार बढ़ रही है और कॉस्मेटिक इंडस्ट्री इसे प्रीमियम सामग्री मानती है. कम सप्लाई और हाई डिमांड मिलकर इसे देश का सबसे महंगा दूध बनाती है.

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Milk Facts: गाय-भैंस का नहीं, सबसे महंगा बिकता है इस जानवर का दूध, 5000 से 7000 रुपये तक है कीमतसबसे महंगे दूध का दर्जा गधी के दूध को मिला है

आज राष्ट्रीय दूध दिवस है और सभी जगह गाय, भैंस और बकरी के दूध की बता हो रही है. गाय-भैंस के दूध की अपनी उपयोगिता है मगर जब बात दुनिया के सबसे महंगे दूध की होती है तो ये किसी गाय या भैंस का नहीं होता. सबसे महंगे दूध का दर्जा गधी के दूध को मिला है. डेयरी साइंटिस्ट बताते हैं कि गधी के दूध की वैल्यू बहुत है. इसका इस्तेमाल सिर्फ कॉस्मेटिक आइटम के लिहाज से ही अहम नहीं है, बल्कि पीने के लिए भी बहुत फायदेमंद माना जाता है. इसकी कीमत गाय-भैंस की किसी भी नस्ल के दूध से कई गुना ज्यादा होती है. गधी के दूध की कीमत उपलब्धता के हिसाब से 5,000 से 7,000 रुपये प्रति लीटर तक भी जा सकती है. सवाल यह है कि आखिर गधी का दूध इतना महंगा क्यों है? ये हम आपको विस्तार से बता रहे हैं. 

कम दूध देती है गधी 

सीधा सा फॉर्मूला है कि जिस भी चीज की सप्लाई कम होती है और मांग ज्यादा तो दाम महंगा ही होता है. गधी का दूध उत्पादन भी बेहद सीमित होता है. रोज के हिसाब से देखें तो एक गधी एक दिन में औसतन 1 से 1.5 लीटर दूध ही देती है. कुछ गधी तो इससे भी कम दूध देती हैं, अगर उसका बच्चा लगातार दूध पी रहा हो तो दूध 200 से 300 मिलीलीटर ही मिल पाता है. लिहाजा गधी के दूध का कम उत्पादन और ज्यादा मांग इसकी कीमतें ऊपर ले जाते हैं.

गधी की संख्या काफी कम

गधी के दूध की सप्लाई इसलिए भी कम है क्योंकि हमारे देश में गधों की आबादी लगातार घट रही है. पशुगणना के अनुसार, पिछले कुछ सालों में गधी की संख्या तेजी से गिर रही है. पशुपालक इन्हें पालना कम कर रहे हैं और इसलिए गधी का दूध मिलना और भी मुश्किल होता जा रहा है, जिससे दाम बढ़ रहे हैं. भारत में गधी के दूध का सीमित उत्पादन इसलिए भी है क्योंकि यहां इसके लिए बड़े पैमाने पर कोई संगठित डेयरी इंडस्ट्री नहीं है. यहां-वहां कोई छोटा-मोटा पशुपालक इसका छोटे स्तर पर दूध उत्पादन करते हैं. इसलिए व्यवस्थित सप्लाई चेन ना होने के कारण ये मुश्किल से उपलब्ध हो पाता है.

कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में मांग

सिर्फ पीने के लिए ही नहीं बल्कि गधी के दूध की कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में भी अच्छी-खासी मांग है. गधी के दूध में विटामिन C, एंटीऑक्सिडेंट और नैचुरल लैक्टिक एसिड जैसी तमाम काम की चीजें होती हैं. इसके दूध में मौजूद ये सारे तत्व स्किनकेयर उत्पादों के लिए बहुमूल्य हैं. पूरी दुनिया के कई कॉस्मेटिक ब्रांड्स इसे साबुन, क्रीम और लोशन बनाने में उपयोग करते हैं. गधी के दूध के लिए कॉस्मेटिक कंपनियों की तरफ से भी जब खासी मांग आती हैं तो इसकी कीमतें और बढ़ जाती हैं.

इंसानी दूध के करीब संरचना

डेयरी साइंटिस्ट बताते हैं कि गधी के दूध की संरचना मानव दूध के करीब मानी जाती है. गधी के दूध में फैट कम होता है और इसमें प्रोटीन और लैक्टोज का बेहतर संतुलन होता है. इसके अलावा इसके दूध से किसी भी एलर्जी का चांस कम होता है. यही कारण है कि यूरोप में कई जगह गधी के दूध को बेबी फूड और मेडिकल उपयोग में लिया जाता है.

फ्यूचर मिल्क बनाने की तैयारी 

हमारे देश में गधे की पहचान बोझा ढोने वाले जानवर के रूप में हैं. गधों की घटती संख्या से बचाने और उसके दूध की मेडिशनल वैल्यू का फायदा उठाने के लिए उसे फ्यूचर मिल्क में शामिल करने की कोशि‍शें शुरू हो गई हैं. क्योंकि दूध पीने के शौकीन ऐसे बहुत सारे लोग होते हैं जिन्हें गाय-भैंस के दूध से एलर्जी होती है. ऐसे लोगों के लिए गधी का दूध उनके लिए काम का साबित होता है.बताया जाता है कि छोटे बच्चों के लिए तो यह मां के दूध जैसा है. इसमे फैट की मात्रा सिर्फ एक फीसद तक ही होती है. जबकि गाय-भैंस और मां के दूध में वसा की मात्रा 3 से 6 फीसद तक होती है. 

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