Animal Management in Flood: गाय-भैंस को बाढ़ से बचाने के लिए नहीं की है तैयारी तो अभी कर लें, वर्ना होगा नुकसान 

Animal Management in Flood: गाय-भैंस को बाढ़ से बचाने के लिए नहीं की है तैयारी तो अभी कर लें, वर्ना होगा नुकसान 

Cow-Buffalo Management in Flood कई बार देखा गया है कि बाढ़ के दौरान एक ही झटके में बड़ी संख्या में पशुओं की जान चली जाती है. बाढ़ या जलभराव से पशुओं को बचाना कोई मुश्कि‍ल काम नहीं है. जरूरत बस इतनी है कि बाढ़ और पशुपालन के संबंध में जानी होने वाली एडवाइजरी का पालन किया जाए. तेज बारिश और जलस्तर बढ़ने का अलर्ट मिलते ही पशुओं को किसी ऊंची जगह पर लेकर चले जाएं. 

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Animal Management in Flood: गाय-भैंस को बाढ़ से बचाने के लिए नहीं की है तैयारी तो अभी कर लें, वर्ना होगा नुकसान Severe flooding in Assam's Gossaigaon near Raimona National Park due to Janali river swelling from Bhutan

Cow-Buffalo Management in Flood पहाड़ों पर लगातार हो रही बारिश के चलते नदियों का जलस्त्र बढ़ रहा है. मैदानी इलाकों में भी रुक-रुककर बारिश हो रही है. हालात बाढ़ जैसे हो गए हैं. कई राज्यों में तो बाढ़ आ रही है. इसके चलते जनजीवन तो प्रभावित होता ही है, साथ में पशुपालन भी प्रभावित होने लगता है. पशुओं की तो जान पर बन आती है. बीमारियों के अलावा कई बार तो पशु पानी संग बह भी जाते हैं. लाला लाजपत राय वेटरनरी और एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (लुवास), हिसार के एक्सपर्ट की मानें तो मॉनसून शुरु होने से पहले ही छोटी-छोटी तैयारी कर पशुओं को बाढ़ के नुकसान से बचाया जा सकता है. ऐसा करके पशुपालक अपने आप को भी बचा सकते हैं. 

पशुओं को बाढ़ के नुकसान से बचाने के लिए क्या करें  

  • मौसम और बाढ़ के संबंध में जानी होने वाले अलर्ट पर जागरूक बने रहें.
  • बारिश से पहले ही एनिमल शेड में पानी निकासी की योजना पर काम शुरु कर दें. 
  • पानी भरने के हालात बनने पर पशुओं के आवास के लिए ऊंची जगह का इंतजाम कर लें. 
  • बाढ़ आने के दौरान इस्तेमाल के लिए हरे चारे समेत समेत भूसा और दाने का इंतजाम कर लें. 
  • बाढ़ में पशुओं के लिए पीने के पानी का इंतजाम भी पहले से ही कर के रख लें. 
  • बाढ़ के दौरान पशुओं को संक्रमण से बचाने और बीमारियों का पता लगाने के लिए रोजाना जांच कराएं. 
  • बरसात के दौरान होने वाली गलघोटू, खुरपका-मुंहपका आदि की वैक्सीन पशुओं को लगवा दें. 
  • महामारी-बाढ़ के हालात में पशुओं के कान में टैग होना जरूरी है. इससे राहत काम में आसानी हो सके. 
  • बाढ़ के दौरान पशु मैनेजमेंट के लिए इमरजेंसी किट पहले से तैयार करके रख लें. 
  • किट में हॉल्टर, रस्सी, दवाएं, सफाई उपकरण, सेल फोन, टार्च लाइट, पोर्टेबल रेडियो और बैट्रियां रख लें. 
  • बाढ़ का अलर्ट आने पर पशुओं को बाढ़े में खुला रखें बांधे नहीं. जिससे पानी आने पर वो भग सकें. 
  • पशु बाड़े के आसपास बिजली के तार हों तो उन्हें सही करा लें.
  • जो चीजें जल्द आग पकड़ सकती हैं उन्हें पशुओं के बाड़े से दूर ही रखें. 
  • जलभराव-बाढ़ के दौरान पशुओं की निगरानी रखें. 
  • नदी में बढ़ रहे पानी के स्तर की जानकारी लेते रहें. 
  • बाढ़ के दौरान मरे पशुओं को दफनाने के लिए छह फीट गहरा गड्डा खोदें.
  • मृत पशुओं को नदी-कुएं से कम से कम 100 फुट दूरी पर दफनाएं.  

बाढ़ न आने पर भी कौनसे काम करना जरूरी है  

  • बाहरी परजीवी कंट्रोल करने को एक्सपर्ट की सलाह पर  कीटनाशक का इस्तेमाल का इस्तेमाल करें. 
  • डेयेरी फार्म पर प्राकृतिक विधि से परजीवी नियंत्रण जैसे की देसी मुर्गीपालन करें.
  • पशुओं को गीला चारा, काली-फफूंद लगी तूड़ी (भूसा) न दें.
  • चारे की 24 घंटे उपलब्धता के लिए फीड ब्लॉक का इस्तेमाल करें.
  • शेड और छतो पर जलभराव या पानी ना टपकने दें. निकासी बनाएं. 
  • बारिश के दौरान पशुओं के बाड़े में बाहरी परजीवी (चिचड़, मख्खी) न फैलने दें. 
  • बारिश के बाद होने वाले रोग बबेसिया, सर्रा, थेलेरिया से बचाने के उपाय कर लें. 
  • पशुओं के बाड़े में साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें और हवा का आवागमन (वेंटिलेशन) सही रखें.

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