omar abdullah news: उमर अब्दुल्ला ने बताया कृषि को इकॉनमी की रीढ़ जम्मू कश्मीर के लिए कृषि एक अहम सेक्टर बन सकता है जो घाटी में कई लोगों को रोजगार मुहैया कराने में सक्षम है. यह मानना है राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का जिन्होंने खेती और इससे जुड़े क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनने की जरूरत पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और इनमें रोजगार की अपार संभावनाएं मौजूद हैं. यह बात उन्होंने शालीमार कन्वेंशन सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में कही. इस कार्यक्रम में सीएम ने हाल ही में अप्वाइंट हुए वेटनरी सर्जन और बागवानी विकास अधिकारियों को अप्वाइंटमेंट लेटर भी सौंपे.
नए कर्मचारियों को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, 'हम बाकी क्षेत्रों में कितनी भी तरक्की कर लें, कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों का कोई विकल्प नहीं है. ये हमारी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में सबसे अधिक योगदान देते हैं.' अब्दुल्ला ने कृषि और पर्यटन के बीच प्रतिस्पर्धा की धारणा को भी खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि रोजगार और विकास का सबसे बड़ा अवसर कृषि क्षेत्र में है. इसके साथ ही उन्होंने डेयरी सेक्टर पर सरकार के खास ध्यान की बात भी की. साथ ही ऐलान किया कि जम्मू-कश्मीर के हर दो जिलों में एक-एक डेयरी प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जाएगी.
उन्होंने बताया कि फिलहाल राज्य में रोजाना होने वाले दूध उत्पादन का सिर्फ 4 फीसदी ही प्रोसेस होता है. जबकि 96 फीसदी कच्चे दूध के औद्योगिक उपयोग की संभावना है. उन्होंने कहा कि यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें हमारे पास उद्योग के लिए पर्याप्त कच्चा माल है और हमें इसे बाहर से मंगाने या बाहरी बाजार तलाशने की जरूरत नहीं. प्रोसेस्ड दूध से किसानों को कच्चे दूध की तुलना में कहीं अधिक कीमत हासिल हो सकेगी.
अब्दुल्ला ने कृषि क्षेत्र के सामने खड़ी चुनौतियों—बढ़ती जनसंख्या, घटती कृषि भूमि और बदलते मौसम के पैटर्न—का भी जिक्र किया. उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग, वर्टिकल फार्मिंग और पॉलीहाउस जैसी नई तकनीकों और तरीकों को अपनाने की अहमियत बताई, ताकि सतत विकास और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की जा सके. इसके मुख्यमंत्री ने मांस जैसी वस्तुओं के लिए बाहरी स्रोतों पर निर्भर रहने के खतरों के लिए भी आगाह किया है. वहीं उन्होंने क्वालिटी और हैंडलिंग को लेकर चिंता जताई.
उन्होंने नए नियुक्त कर्मचारियों से कहा,'आपका ऑफिस कोई बंद कमरा नहीं है बल्कि खेत-खलिहान है.' अब्दुल्ला ने उन्हें जमीनी हकीकत से जुड़े रहने और पशुपालन व बागवानी जैसे अहम क्षेत्रों में ईमानदारी से काम करके जनता के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा दी.
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