देश में बकरी पालन का चलन तेजी से बढ़ रहा है. गांव से लेकर शहरों तक में लोग बड़े स्तर पर बकरी पालन कर रहे हैं. इसके दूध, घी और मांस बेचकर किसानों की अच्छी कमाई हो रही है. वहीं, केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी बकरी पालन को बढ़ावा दे रही हैं. इसके लिए वह कई योजनाएं चला रही हैं. इन योजनाओं के माध्यम से बकरी पालन शुरू करने के लिए किसानों को सब्सिडी पर लोन मुहैया करवाया जा रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी भारी संख्या में किसानों को बकरी पालन में आर्थिक नुकसान हो रहा है, क्योंकि उन्हें बकरी की बेहतर नस्लों की जानकारी नहीं है. ऐसे में आज हम विदेशी नस्ल की ऐसी बकरियों के बारे में बताएंगे, जो देसी गाय के बराबर दूध देती हैं. इनका पालन करने पर किसानों को अच्छी कमाई होगी, क्योंकि बकरी के दूध और घी बहुत ही महंगे बीकते हैं.
एंग्लो नूबियन: एंग्लो नूबियन विदेशी नस्ल की एक बेहतरीन बकरी है. यूरोप में इसका बड़े स्तर पर पालन किया जाता है. इस नस्ल की बकरी अधिक दूध देने और मांस के लिए जानी जाती है. इस नस्ल की बकरी एक दिन में 5 लीटर तक दूध दे सकती है. ऐसे भी देसी नस्ल की बहुत सी गायें 5 लीटर के आस-पास ही रोज दूध देती हैं. वहीं, एंग्लो नूबियन के बकरे काफी लंबे होते हैं. इनका वजन भी बहुत ही तेजी के साथ बढ़ता है. ऐसे में इस नस्ल की बकरी का पालन करने पर किसानों की दूध के साथ-साथ मांस बेच कर भी अच्छी इनकम होगी.
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सानेन: सानेन नस्ल की बकरी स्विट्जरलैंड में पाली जाती हैं. इसका दूध उत्पादन अन्य नस्ल की बकरियों से बहुत ज्यादा है. यह रोजाना 4 लीटर तक दूध दे सकती है. हालांकि, अभी 80 से अधिक देशों में सोनेन नस्ल की बकरियों का पालन किया जा रहा है. इस नस्ल के बकरे का मांस बहुत ही टेस्टी होता है. इस लिए मार्केट में इसका रेट और डिमांड भी बहुत ज्यादा है. खास बात यह है कि इस नस्ल की बकरियां जन्म के 9 महीने में गर्भ धारण करने के लिए तैयार हो जाती हैं. वहीं, एक साल में 800 लीटर से अधिक दूध देती है.
टोगेनबर्ग: टोगेनबर्ग स्विट्जरलैंड की बकरियों की एक शानदार नस्ल है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसका सींग नहीं होता है. यह रोजाना 4 से 4.5 लीटर दूध देती है. साथ ही टोगेनबर्ग नस्ल की बकरियां काफी सुन्दर भी दिखती हैं. इसके बाल का रंग भूरा और सफेद होता है. इसका दूध उत्पादन के लिए पालन किया जाता है.
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