Camel Milk: ये हैं ऊंटनी के दूध से जुड़े 5 फायदे, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

Camel Milk: ये हैं ऊंटनी के दूध से जुड़े 5 फायदे, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

Benefits of Camel Milk एक्सपर्ट के मुताबिक ऊंटनी के दूध के एक-दो नहीं पूरे पांच फायदे हैं. इसके साथ ही ऊंटनी के दूध से पनीर, आइसक्रीम समेत दूसरे पदार्थ बनाए जा रहे हैं. ऊंटनी के दूध से कौन-कौनसे पदार्थ और कैसे बनाए जा सकते हैं इसकी भी ट्रेनिंग बीकानेर में दी जाती है. साथ ही प्रोडक्ट बनाने की टेक्नोलॉजी भी मामूली फीस के साथ दी जाती है. 

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Camel Milk: ये हैं ऊंटनी के दूध से जुड़े 5 फायदे, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्टऊंटनी का दूध

Benefits of Camel Milk ऊंटनी का दूध कितना फायदेमंद होता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कोरोना-लॉकडाउन के दौरान इसकी सप्लाई बनाए रखने के लिए पाली, राजस्थान के एक गांव में ट्रेन को रोका जा रहा था. जिन बच्चों को गाय का दूध एलर्जी करता है उनके लिए ऊंटनी का दूध अमृत जैसा है. इसके अलावा भी ऊंटनी के दूध की बहुत सारी वैल्यू हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि ऊंटनी का दूध कई गंभीर बीमारियों में दवाई की तरह काम करता है. पाली, राजस्थान से ऊंटनी का दूध लेकर स्पेशल ट्रेन देश के दर्जनों इलाकों में सप्लाई करती है. 

इतना ही नहीं विदेशों में भी ऊंटनी के दूध की डिमांड है. एक्सपर्ट बताते हैं कि ऊंटनी का दूध डायबिटीज, टीबी और ऑटिज्म जैसी बीमारी में बहुत फायदेमंद है. यही वजह है कि भारत में ऊंटनी के दूध को फ्यूचर मिल्क में शामिल किया जा रहा है. केन्द्र सरकार भी इसमे मदद कर रही है. लेकिन इस सब के बीच परेशान करने वाली बात ये है कि देश में ऊंटों की संख्या घट रही है. ऊंटों की घटती संख्या को रोकने के लिए भी सरकार ऊंटनी के दूध कारोबार को बढ़ावा दे रही है. 

ये हैं ऊंटनी के दूध से जुड़े 5 फायदे 

ऊंटनी के दूध को लेकर कई तरह की अफवाहें भी फैलाई जाती हैं. ये अफवाहें कितनी सच और झूठ हैं इस बारे में ऊंट रिसर्च सेंटर की ओर से ऊंट के फायदों पर जारी एडवाइजरी के बारे में हम इस खबर में बता रहे हैं.

  • ऊंटनी का दूध थोड़ा नमकीन होता है. लेकिन इसका स्वाद ऐसा है कि इसे बड़े ही आराम से पिया जा सकता है. दूध में नमकीन स्वाद रेगिस्तान में ऊंट द्वारा खाए जाने वाले पौधों से आ जाता है. 
  • ऊंट के दूध को भी अन्य दूध की तुलना में कमरे के तापमान पर लम्बे वक्त तक रखा जा सकता है. साइंटिस्ट का कहना है कि ऊंट के ताजे दूध को 30 डिग्री सेल्सिसयस पर 8 घंटे तक रखा जा सकता है, पाश्चुरीकृत ऊंट के दूध को चार डिग्री सेल्सिमयस पर 10 दिनों से अधिक समय तक रखा जा सकता है. और जब दूध में लैक्टोपेरोक्सिडेस सिस्टम सक्रिय होता है, तो ताजा दूध को 30 डिग्री सेल्सिखयस पर लगभग 20 घंटे तक रखा जा सकता है.
  • ऊंटनी का दूध गाय, भैंस, भेड़, बकरी, याक आदि के दूध की तुलना में पतला और कम चिपचिपा होता है, लेकिन जब दूध को हिलाया जाता है, तो यह झागदार और गाढ़ा दिखाई देता है.
  • ऊंटनी का दूध पीने से दस्त नहीं होते हैं, लेकिन ये कुछ हद तक पाचक प्रभाव डालता है और मल त्याग में मदद करता है.
  • ऊंटनी के दूध से दही बनाने के दौरान ऊंटनी के दूध में फॉर्मेंटेशन होता है. इसके चलते अन्य दूध की तुलना में इस बनने में ज्यादा वक्त लगता है. अन्य दूध से मिलने वाले दही की बनावट ऊंटनी के दूध में नहीं आती है. इसके पीछे कई वजह हो सकती हैं. जैसे कि ऊंटनी के दूध में के-कैसिइन की बहुत कम मात्रा, प्रोटीन अणुओं के साथ वसा का घनिष्ठ बंधन और नमक की उच्च मात्रा हो सकती है. 

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