हाल ही में मुम्बई में हुए एक कार्यक्रम के दौरान डेयरी एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने और इंटरनेशनल मार्केट में जगह बनाने के टारगेट को ध्यान में रखते हुए रणनीतिक प्राथमिकताओं और सिफारिशों पर चर्चा की गई. डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट कैसे बढ़ेगा इस संबंध में इंडियन डेयरी एसोसिएशन (IDA) के प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी ने कई अहम बिन्दुओं पर जानकारी साझा की. उनका कहना है कि आने वाला वक्त डेयरी सेक्टर के लिए चुनौतियों से भरा हुआ भी है और एक तरह से मौके लेकर भी आ रहा है. जरूरत है इस वक्त को हम किस नजर से देखते हैं.
आज हम दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश हैं. भारत दुनिया के कुल दूध उत्पादन में 24 फीसद का हिस्सेदार है. लेकिन अफसोस की बात ये है कि विश्व डेयरी निर्यात में हमारी हिस्सेदारी सिर्फ 0.25 फीसद है. जबकि देश का अकेला डेयरी सेक्टर लगातार लाखों लोगों रोजगार दे रहा है. पोषण को बढ़ावा दे रहा है. देश की कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. लेकिन अभी भी जरूरत है कि डेयरी एक्सपोर्ट को बढ़ाया जाए.
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डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि एक अनुमान के मुताबिक आने वाले 25 साल में करीब 10 करोड़ टन दूध देश में सरप्लस होगा. जिसकी कीमत करीब चार से पांच हजार करोड़ डॉलर होगी. लेकिन ये हमारे लिए चुनौती के साथ ही मार्केट को और बढ़ाने का अच्छा मौका है. लेकिन डेयरी प्रोडक्ट की अच्छी कीमत पाने और इस मौके का फायदा उठाने के लिए जरूरी है कि हम एक्सपोर्ट को बढ़ाने वाली रणनीतियों पर काम करें. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि कुछ चीजों पर हमे अभी से काम करना होगा.
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डॉ. आरएस सोढ़ी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का डेयरी एक्सपोर्ट 67580 मीट्रिक टन रहा था. इसकी कुल कीमत 2300 करोड़ रुपये थी. यह वैश्विक डेयरी निर्यात बाजार का एक हिस्सा है. लेकिन इसी वक्त में डेयरी एक्सपोर्ट 1007 अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया. भविष्य को देखते हुए, वैश्विक डेयरी साल 2030 तक 30 फीसद और 2047 तक 45 फीसद बढ़ने का अनुमान है.
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