Bakrid: तोतापरी है तो बकरीद पर बाजार में मुंह मांगे दाम पर हाथों-हाथ बिक जाएगा बकरा

Bakrid: तोतापरी है तो बकरीद पर बाजार में मुंह मांगे दाम पर हाथों-हाथ बिक जाएगा बकरा

कुर्बानी के लिए बकरीद पर जो बकरे खरीदे जाते हैं उसमे वजन, हाइट-हैल्थ और बकरे की खूबसूरती बहुत मायने रखती है. अगर बकरा इन मानकों पर खरा उतरता है तो पशुपालक को हाट में उसके दाम भी अच्छे मिल जाते हैं. आम दिनों में 20 किलो वजन वाला जो बकरा 10 हजार रुपये का मिलता है तो  वहीं बकरीद पर 14 से 15 हजार रुपये तक का मिलता है. 

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Bakrid: तोतापरी है तो बकरीद पर बाजार में मुंह मांगे दाम पर हाथों-हाथ बिक जाएगा बकराबकरीद के दौरान कुर्बानी के लिए तोतापरी बकरों की डिमांड रहती है.

बकरों की करीब आधा दर्जन ऐसी नस्ल हैं जो बकरीद के दौरान खूब डिमांड में रहती हैं. कोई वजन के चलते तो कोई हाइट और खूबसूरती के चलते जल्दी बिक जाते हैं. लेकिन इन्हीं के बीच एक ऐसी सभी नस्ल है जिसकी दिल्ली -एनसीआर में बहुत डिमांड रहती है. जामा मस्जि‍द, दिल्ली की हाट और उसके अलावा गली-मोहल्ले तक में इस नस्ल के बकरे एक-एक लाख रुपये तक के बिक जाते हैं. इस नस्ल का नाम है तोतापरी. एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर आपके पास तोतापरी बकरा है तो बकरीद पर बाजार में मुंह मांगे दाम पर हाथों-हाथ बिक जाएगा. 

बकरीद के लिए तोतापरी बकरों को तैयार करने की कवायद ईद के पहले से ही शुरू हो जाती है. बकरीद तीन दिन तक मनाई जाती है, इस मौके पर तीनों दिन बकरों की कुर्बानी दी जाती है. जानकारों की मानें तो कुर्बानी का बकरा हाइट और वजन के हिसाब से तो बिकता ही है, साथ में उसकी खूबसूरती भी बहुत मायने रखती है. 

इसलिए हर कोई पसंद करता है तोतापरी बकरा 

बकरों के एक्सपर्ट और गोट ब्रीडिंग पर काम करने वाले राजस्थान निवासी हाजी इकबाल बताते हैं कि तोतापरी बकरे खासतौर पर मेवात और उससे लगे राजस्थान के अलवर में पाले जाते हैं. तोतापरी बकरों की तीन बड़ी खासियत होती हैं. एक तो ये कि दूसरे सामान्य बकरों के मुकाबले इनकी हाइट ज्यादा होती है. दूसरा हेल्थ के हिसाब से भी 100 किलो और उसके आसपास के होते हैं. तीसरा ये कि इनकी नाक तोते की तरह से ऊपर की ओर उठी हुई होती है और होंठ नीचे की ओर दबे हुए. जिसके चलते इनकी खूबसूरती बढ़ जाती है. कई अलग-अलग रंग में होने के चलते भी इनकी खूबसूरती और बढ़ जाती है. 

दो तरह की खुराक से तंदरुस्त बनते हैं तोतापरी

इकबाल ने बताया कि तोतापरी नस्ल अभी रजिस्टर्ड नहीं हुई है. लेकिन राजस्थान के अलवर और हरियाणा के मेवात में इसका पालन खूब किया जाता है. प्राकृतिक तौर पर ही इस नस्ल के बकरे अच्छी हाइट और हेल्थ के होते हैं, लेकिन अगर इनकी खिलाई-पिलाई और अच्छे तरह से हो जाए तो हाइट और हेल्थ और ज्यादा बढ़ जाते हैं. इसके चलते इनके दाम भी ज्यादा होते हैं. इस दाम के बकरे हर शहर में नहीं बिक पाते हैं. यही वजह है कि दिल्ली-मुम्बई में इनकी खासी डिमांड रहती है. 

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