खारा पानी और जलभराव पंजाब के किसानों के लिए वरदान से कम नहीं है. यहां के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में किसान इसका फायदा उठा रहे हैं. वे खारे पानी में झींगा मछली का पालन कर रहे हैं. इससे उन्हें बंपर कमाई हो रही है. ऐसे भी पंजाब सरकार प्रदेश में झींगा मछली पालन को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए वह किसानों को सब्सिडी भी मुहैया कर रही है. यही वजह है कि पंजाब में झींगा मछली का रकबा बढ़कर 1315 एकड़ हो गया है.
द ट्रिव्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में किसान कुछ साल पहले दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम कर रहे थे. लेकिन झींगा पालन उनके लिए वरदान साबित हुआ है. झींगा की मांग मार्केट में बहुत है. उसका विदेशों में भी बड़े स्तर पर निर्यात किया जाता है. यही वजह है कि भारत दुनिया के शीर्ष दो झींगा निर्यातकों में से एक है. गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. इंद्रजीत सिंह ने कहा कि राज्य के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से (फाजिल्का, श्री मुक्तसर साहिब, बठिंडा, मानसा और फरीदकोट जिले) में किसानों ने धीरे-धीरे खारे पानी की वजह से खेती से दूरी बना ली थी. लेकिन अब उसी खारे में पानी में झींगा मछली का पालन कर रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि दक्षिण-पश्चिम पंजाब में खारे पानी और जलभराव वाली बंजर जमीन को भी मछली पालन में उपयोग किया जा रहा है. जिसमें मछली और झींगा पालन किया जा रहा है. इससे किसान 50,000 रुपये से 5 लाख रुपये प्रति एकड़ तक फायदा कमा रहे हैं. मत्स्य महाविद्यालय की डीन डॉ. मीरा डी.अंसल ने बताया कि विश्वविद्यालय ने पिछले पांच वर्षों में झींगा पालन करने वाले किसानों के लगभग 1,500 जल और 2,500 झींगा नमूनों का परीक्षण किया और लगभग 300 हितधारकों को झींगा पालन में प्रशिक्षित किया.
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय युवाओं के बीच उद्यमिता को भी बढ़ावा दे रहा है. इसके लिए युवाओं को मछली पालन के लिए ट्रेनिंग दी जा रही है. डॉ. मीरा डी.अंसल ने बताया कि लाभार्थियों ने सहजता से झींगा पालन को अपनाया और दो वर्षों में अपने झींगा पालन क्षेत्र को 1 एकड़ से बढ़ाकर 3-4 एकड़ कर दिया. उनकी माने तो झींगा पालन एक अत्यधिक आकर्षक उद्यम है. यदि उत्पादन से लेकर मार्केटिंग तक सब कुछ ठीक रहा, तो चार महीनों में 10 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक का शुद्ध लाभ कमाया जा सकता है.
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