frozen semen caseSex-sorted semen गाय हो या भैंस, जब वो बच्चा दे तो सिर्फ बछिया ही पैदा हो. ये सोच या चाहत किसी एक पशुपालक की नहीं है, आज हर छोटा-बड़ा पशुपालक यही सोचता है. एनिमल शेड में बछिया होगी तो बड़े होकर दूध भी देगी और बच्चा भी देगी. इसी को देखते हुए एनमिल साइंटिस्ट ने सेक्स सॉर्टेड सीमेन तकनीक की खोज की है. ये एक ऐसी तकनीक है जिसके इस्तेमाल से 90 फीसद केस में बछिया ही पैदा होती हैं. लेकिन शुरुआत में ये तकनीक बहुत महंगी थी. इसी वजह से इसका इस्तेमाल कम हो रहा था.
दूसरा ये कि पशुपालक वक्त से पशु की हीट का पता नहीं लगा पाते हैं और कई बार सेक्स सॉर्टेड सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान कराने के बाद भी पशु गाभिन नहीं हो पाता है. इस तरह से लागत बढ़ जाती है. एक स्ट्रा एक हजार रुपये से लेकर 15 सौ रुपये तक में ही मिल पाती थी. लेकिन सरकार ने इस परेशानी को देखते हुए सरकार ने स्ट्रा की कीमत घटा कर 300 रुपये तक कर दी है.
सेक्स सॉर्टड सीमेन स्ट्रा तैयार करने के लिए अभी तक यूएस की दो कंपनियां सेक्स सॉर्टड सीमेन में इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी (मशीन) तैयार कर रही हैं. ये कीमत के मामले में बहुत महंगी हैं. यही वजह है कि बाजार में पशुपालकों को करीब एक हजार रुपये में सेक्स सॉर्टड सीमेन की स्ट्रा मिलती थी. अब अगर एक की जगह दो या फिर तीन स्ट्रा में गाय-भैंस गाभिन हुई तो ये पशुपालक को बहुत महंगा पड़ता था.
कई बार पशु की हीट का अंदाजा ना होने के चलते इन सब हालात का सामना करना पड़ता था. इसलिए एनडीडीबी ने अपने चार सीमेन स्टेशन के लिए ये मशीन खरीदीं. फिर वहां सेक्स सॉर्टड सीमेन की स्ट्रा तैयार की गईं. और जैसे गांव-गांव में आम सीमेन की स्ट्रा पशुपालक को मिल जाती थी तो अब इसकी भी स्ट्रा भी मिल जा रही है. इसीलिए इसकी कीमत 300 रुपये रखी गई है.
पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2019-20 से 2023-24 तक सेक्स सॉर्टेड सीमेन की एक करोड़ से ज्यादा डोज तैयार की गई हैं. राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत ये अभियान चल रहा है. मंत्रालय का दावा है कि सेक्स सॉर्टेड सीमेन की डोज की कामयाबी की बात करें तो ये 90 फीसद है. इस हिसाब से पांच साल में अब तक करीब 90 लाख बछिया पैदा हो चुकी हैं. इसकी एक डोज की कीमत 300 रुपये तक होती है. साथ ही सरकार की ओर से इस पर 50 फीसद की सब्सिडी दी जाती है या फिर गर्भधारण सुनिचिश्त होने पर 750 रुपये दिए जाते हैं.
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