पशु टीकाकरण. (फाइल फोटो)Animal Vaccination एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो पशुओं को होने वाली ज्यादातर बीमारियों का कोई इलाज नहीं है. ऐसी बीमारियों की रोकथाम दवाई से ज्यादा वैक्सीन से की जाती है. आज भी जब पशुओं की कोई बड़ी बीमारी फैलती है तो पशुओं को बचाने के लिए टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाता है. जिससे की पशुओं को बीमारी की चपेट में आने से बचाया जा सके. लेकिन समय-समय पर एनिमल वैक्सीन को लेकर को लेकर सवाल भी उठते रहते हैं. इसमे एक बड़ा सवाल है वैक्सीन कोल्ड चेन मैनेजमेंट को लेकर. आरोप लगते हैं कि पशुओं को लगाने से कई घंटे पहले वैक्सीन को फ्रिज में से निकल लिया जाता है.
सवाल है कि फ्रिज में से घंटों पहले निकली वैक्सीन कितनी कारगर होगी. लेकिन अब वैक्सीन की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए केन्द्र सरकार बड़ा कदम उठा रही है. पशु टीकाकरण के लिए एनिमल वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क तैयार किया जा रहा है. इसके लिए केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के डेयरी विभाग और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के साथ एमओयू साइन किया गया है.
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो पशुओं के बीच टीकाकरण का दायरा और पहुंच बढ़ाने में एनिमल वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क बहुत मदद करेगा. क्योंकि 53.57 करोड़ छोटे-बड़े पशु और 85 करोड़ पोल्ट्री बर्ड की आबादी को देखते हुए सभी तरह की हैल्थ सुविधा दरवाजे तक पहुंचाना आसान नहीं होता है. इस तरह के टारगेट को पूरा करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है. यही वजह है कि इस नेटवर्क से जुड़ने के बाद वैक्सीन की कोल्ड चेन और सप्लाई चेन मजबूत होगी. सबसे बड़ी बात ये कि वैक्सीन भरोसेमंद भी बनेगी.
इतना ही नहीं वैक्सीन का स्टॉक, मैनेजमेंट और कोल्ड उपकरण में वैक्सीन कितने तापमान पर मेंटेन हो रही है ये सब आनलाइन हो जाएगा. इसके लिए वैक्सीन डिजिटलीकरण किया जाएगा. इसका एक बड़ा फायदा ये होगा वैक्सीन की सप्लाई में आने वाली सभी तरह की परेशानियों को वक्त रहते दूर किया जा सकेगा.
मंत्रालय की ओर से जारी सूचना में बताया गया है कि जल्द ही खुरपका और मुंहपका बीमारी (एफएमडी) बीमारी की रोकथाम के लिए टीकाकरण किया जा रहा है. इसी के तहत अगली कड़ी में छोटे-बड़े सभी तरह के 70 करोड़ पशुओं को एफएमडी की वैक्सीन लगाई जाएगी. इस वैक्सीन की खरीद 900 करोड़ रुपये से की जा रही है.
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