व्यापारियों को समय पर नहीं मिल रहा स्पेशल इंपोर्ट परमिट, सीफूड निर्यात में आ सकती है गिरावट

व्यापारियों को समय पर नहीं मिल रहा स्पेशल इंपोर्ट परमिट, सीफूड निर्यात में आ सकती है गिरावट

कोविड महामारी के बाद समुद्री उत्पादों में 30 परसेंट की वृद्धि हुई है और यह 7.8 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. हालांकि मौजूदा साल में सीफूड एक्सपोर्ट में 3-5 परसेंट तक की कमी आ सकती है. भारत से होने वाले सीफूड निर्यात की मात्रा में भी इस साल कमी आने की आशंका है.

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व्यापारियों को समय पर नहीं मिल रहा स्पेशल इंपोर्ट परमिट, सीफूड निर्यात में आ सकती है गिरावटभारत से सीफूड निर्यात में कमाई की बेहतर संभावनाएं हैं

सीफूड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEAI) ने सरकार के सामने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि उन्हें स्पेशल इंपोर्ट परमिट्स (SIP) नहीं मिलने से विदेशों से कच्चा माल मंगाने में दिक्कतें हो रही हैं. इस संगठन का कहना है कि स्पेशल परमिट नहीं मिलने से वे उन कच्चे माल का आयात नहीं कर पा रहे हैं जिनसे समुद्री उत्पादों से वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट बनाए जाते हैं. यहां समुद्री उत्पाद का मतलब मछली, झिंगा आदि है जिनकी प्रोसेसिंग करने के बाद कई महंगे खाने के सामान बनाए जाते हैं और उन्हें विदेशों में एक्सपोर्ट किया जाता है. SEAI ने कहा है कि जब तक उन्हें स्पेशल इंपोर्ट परमिट नहीं मिलेगा, तब तक वे विदेश से कच्चे माल का आयात नहीं कर पाएंगे. ऐसे में समुद्री उत्पादों के निर्यात पर भी गंभीर असर देखा जा रहा है.

SEAI के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश फोफंदी ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, स्पेशल इंपोर्ट परमिट्स लेने में कम से कम 3-4 हफ्ते या उससे अधिक दिन लग रहे हैं. परमिट जारी करने में कैसे तेजी आए, इसके बारे में फोफंदी कहते हैं कि परमिट बांटने का काम कृषि मंत्रालय 'मरीन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी' (MPEDA) को दे सकता है. उसके बाद कृषि मंत्रालय चाहे तो उसमें कोई सुधार या बदलाव कर सकता है.

फोफंदी ने कहा, भारत के पास अभी समुद्री खाद्य सामानों के निर्यात की भरपूर संभावनाएं हैं. भारत इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा सकता है. यहां तक कि भारत वैल्यू ऐडेड सीफूड प्रोसेसिंग एक्सपोर्ट हब के तौर पर उभर सकता है. इस काम में अभी थाइलैंड, चीन और वियतनाम आगे हैं, लेकिन भारत भी इसमें अपनी बड़ी भूमिका निभा सकता है. कृषि मंत्रालय अगर इसमें आगे आए तो भारतीय निर्यातकों के साथ अंतरराष्ट्रीय सीफूड कंपनियों का गठजोड़ हो सकता है. 

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कोविड महामारी के बाद समुद्री उत्पादों में 30 परसेंट की वृद्धि हुई है और यह 7.8 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. हालांकि मौजूदा साल में सीफूड एक्सपोर्ट में 3-5 परसेंट तक की कमी आ सकती है. भारत से होने वाले सीफूड निर्यात की मात्रा में भी इस साल कमी आने की आशंका है. SEAI ने उस आदेश पर भी चिंता जाहिर की है जिसमें मछलीपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने क्रस्टेशियन के एसपीएफ ब्रूड स्टॉक को दक्षिण-पूर्व के देशों से आयात को मंजूरी दी है.

SEAI का कहना है कि मंजूरी से देश में एक्वाकल्चर श्रिंप के उत्पादन पर असर पड़ सकता है क्योंकि कई दक्षिण-पूर्व एशियाई जैसे कि थाइलैंड में 'अर्ली मोर्टेलिटी सिंड्रोम' नामक बीमारी फैली है. इस बीमारी ने कई सीफूड को वियतनाम, चीन और अन्य देशों में प्रभावित किया है. भारत में अभी तक इस बीमारी का खतरा नहीं पहुंचा है क्योंकि सरकार ने अब तक थाइलैंड और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से एसपीएफ ब्रूड स्टॉक के आयात पर प्रतिबंध रखा था. लेकिन सरकार ने अभी इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया है जिससे सीफूड के 57,000 करोड़ रुपये के निर्यात पर असर देखा जा सकता है.

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