इस तरह के खान-पान से बीमार हो सकते हैं पशु, भूलकर भी ना दें ये हरा चारा

इस तरह के खान-पान से बीमार हो सकते हैं पशु, भूलकर भी ना दें ये हरा चारा

अगर आप पशुपालक हैं और गाय-भैंस पालते हैं तो उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखना काफी अहम हो जाता है. पशुओं को कुछ गैर जरूरी चीजें न खिलाने की सलाह दी जाती है. आइए समझते हैं.

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इस तरह के खान-पान से बीमार हो सकते हैं पशु, भूलकर भी ना दें ये हरा चाराgreen fodder cow

पशुपालन का काम तो पुराने समय से ही होता आया है, लेकिन बीते कुछ सालों से पशुपालन लाभ का अच्छा कारोबार बन गया है. हमने लोगों को अच्छी-खासी नौकरी छोड़ पशुपालन से जुड़कर अच्छा मुनाफा कमाते देखा है. पशुपालन से अच्छा लाभ तब मिलता है जब आपके पशु स्वस्थ रहेंगे. पशुओं की बेहतर हेल्थ के लिए खान-पान में खास ध्यान रखने की सलाह दी जाती है. पशुओं को क्या खिलाना चाहिए ये जानने से ज्यादा जरूरी है कि उन्हें क्या नहीं खिलाना चाहिए. 

पशुओं को न दें ऐसा चारा 

गाय-भैंसों की अच्छी हेल्थ के लिए रोजाना हरा चारा खिलाने की सलाह दी जाती है. हरा चारा पशुओं के पाचन के लिए बहुत ज्यादा जरूरी होता है. इससे पशुओं का दूध भी बढ़ता है. उनकी प्रजनन क्षमता और गर्भधारण क्षमता भी बढ़ती है. लेकिन कुछ ऐसे भी हरे चारे होते हैं जिन्हें पशुओं को न खिलाने की सलाह दी जाती है. पशुओं को दलहनी फसलों वाला हरा चारा अधिक नहीं खिलाना चाहिए. इन्हें नमी वाला हरा चारा भी नहीं खिलाना चाहिए. नमी वाले चारे में फफूंद या अन्य कीटों का खतरा रहता है जिसके कारण उनके पाचन पर बुरा असर देखने को मिल सकता है. 

हरा चारा खिलाने का सही तरीका

हरा चारा खिलाने के फायदे तो जान लिए हैं लेकिन इसे खिलाने का सही तरीका नहीं जान पाए तो फिर ये फायदे की जगह पर नुकसान पहुंचा सकता है. पशुओं को रोजाना 15 किलो से अधिक हरा चारा नहीं खिलाना चाहिए. पशुओं को सीधे हरा चारा भी ना डालने की सलाह दी जाती है. हरा चारा की कुटी बनाकर इसे भूसे के साथ मिलाकर खिलाया जाता है. हरा चारा के अलावा सूखा चारा और प्रति पशु कम से कम दो किलो अनाज भी जरूर खिलाना चाहिए. 

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पशुओं को कब खिलाएं कौन से चारे

हमने पशुओं के चारे से जुड़ी सारी बातें जान ली हैं. खान-पान की बारीकियों की बात आए तो ये जरूर जान लेना चाहिए कि कौन सा चारा कब खिलाना है. साल के 12 महीने में एक समान चारा ना तो उपलब्ध हो पाता है ना ही खिलाना फायदेमंद माना जाता है. नवंबर से फरवरी तक बरसीम चारा दें, गर्मी के दिनों में चरी भी खिलाई जाती है. बारिश के दिनों में मक्का और बाजरे के पत्ते हरे चारे के रूप में खिला सकते हैं. जिस महीने में चारा नहीं मिल पाता है ऐसे में साइलेज भी खिला सकते हैं.

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