Rashtriya Gokul Mission: 10 साल में बढ़ गया 9.30 करोड़ टन दूध उत्पादन, पीएम कर रहे योजना की तारीफ

Rashtriya Gokul Mission: 10 साल में बढ़ गया 9.30 करोड़ टन दूध उत्पादन, पीएम कर रहे योजना की तारीफ

छोटे पशुपालकों को ध्यान में रखते हुए साल 2014 में पांच साल के लिए  राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) योजना की शुरुआत की गई थी. योजना के लिए 2400 करोड़ रुपये दिए गए थे. इस योजना का खास मकसद गाय-भैंस की सभी तरह की देसी नस्ल को बढ़ावा देना है. योजना केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा शुरू की गई है. 

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10 साल में बढ़ गया 9.30 करोड़ टन दूध उत्पादन, पीएम कर रहे योजना की तारीफदुधारू गाय

एक योजना और उसके साथ की गई मेहनत डेयरी की तस्वीर बदल सकती है. कुछ ऐसा ही हुआ है दूध उत्पादन के सेक्टर में. दूध उत्पादन की बात करें तो 10 साल में नौ करोड़ टन से ज्यादा दूध उत्पादन बढ़ गया है. 24 फरवरी को बिहार दौरे पर गए पीएम नरेन्द्र मोदी ने एक डेयरी प्लांट का उद्घाटन करते हुए इस योजना की तारीफ की है. आज दूध उत्पादन के मामले में भारत विश्व में पहले नंबर पर कायम है. बीते कई साल से भारत नंबर वन बना हुआ है. 

डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि दूध उत्पादन बढ़ने के पीछे राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) योजना की कामयाबी है. यही वो योजना है जिसकी तारीफ पीएम बिहार में कर रहे थे. ये वो योजना है जिसके तहत पशुओं की नस्ल सुधार पर काम किया गया. कृत्रिम गर्भाधान के लिए सीमेन की डोज तैयार की गईं. गाय-भैंस से सिर्फ बछिया पैदा हो इसके लिए सेक्स सॉर्टेड सीमेन की भी डोज तैयार की गई हैं. 

राष्ट्रीय गोकुल मिशन से डेयरी-पशुपालन में ऐसे आया बदलाव

देश में दूध उत्पादन साल 2014-15 में 14.60 करोड़ टन से बढ़कर साल 2023-24 में 23.90 करोड़ टन हो गया है. बीते 10 साल के दौरान 63.55 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. 

देश में बोवाइन पशुओं की कुल उत्पादकता साल 2014-15 में प्रति पशु प्रति साल 1640 किलोग्राम थी. साल 2023-24 में प्रति पशु प्रति साल बढ़कर 2072 किलोग्राम हो गई है. इस दौरान 26.34 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. 

देशी और नॉन-डिस्क्रिप्ट गोपशुओं की उत्पादकता साल 2014-15 में प्रति पशु प्रति साल 927 किलोग्राम थी. साल 2023-24 में प्रति पशु प्रति साल बढ़कर 1292 किलोग्राम हो गई है. इसमे 39.37 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. 

भैंसों की उत्पादकता साल 2014-15 में प्रति पशु प्रति साल 1880 किलोग्राम से बढ़कर साल 2023-24 में प्रति पशु प्रति साल 2161 किलोग्राम हो गई है. इसमे14.94 फीसद की बढ़ोतरी हुई है.

नस्ल चयन कार्यक्रम के तहत गोपशु की राठी, थारपारकर, हरियाणा, कांकरेज नस्ल और भैंस की जाफराबादी, नीली रवि, पंढारपुरी और बन्नी नस्लों को शामिल किया गया है. 

अब तक चार हजार उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले सांडों का उत्पादन किया जा चुका है और उन्हें वीर्य उत्पादन के लिए झुंड में शामिल किया गया है.

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