बटेर पालन से क‍िसानों की बढ़ेगी आय, जानें इसे पालने का सही तरीका

बटेर पालन से क‍िसानों की बढ़ेगी आय, जानें इसे पालने का सही तरीका

भारत में पशुपालक मुर्गी और बत्तख तो खूब पालते हैं. अब उन्हें बटेर का पालन करना चाहिए. क्योंकि इसे पालने में मुर्गी और बत्तख की अपेक्षा कम लागत लागत आती है. आइये जानते हैं बटेर पालन से जुड़ी सभी जानकारी.

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बटेर पालन से क‍िसानों की बढ़ेगी आय, जानें इसे पालने का सही तरीका पशुपालक करें बटेर का पालन होगा मुनाफा, फोटो साभार: freepik

भारत में पशुपालक मुर्गी और बत्तख तो खूब पालते हैं. ऐसे पशुपालकों को बटेर पालन मे हाथ अजमाना चाह‍िये. क्योंकि इसे पालने में मुर्गी और बत्तख की अपेक्षा कम परेशानी और कम लागत आती है. भारत में इन दिनों इस पक्षी का पालन काफी आकर्षक और लाभकारी पशुपालन व्यवसाय के रूप में उभर रहा है. देश में बटेर का जिक्र प्राचीन इतिहास से रहा है. इसके मांस कई गुणों से भरपूर और काफी स्वादिष्ट होता हैं. बटेर एक जंगली पक्षी होता है. जिसके मांस की बाजार में काफी मांग है.

इसके अवैध शिकार और लुप्त होती संख्या को देखते हुए सरकार ने इस इसके संरक्षण के लिए शिकार पर वन्य जीव संरक्षण कानून 1972 के तहत प्रतिबंध लगाया था, जिसे 2014 में वापस ले लिया गया. अब किसान मुर्गी को छोड़कर बटेर पालन पर किस्मत आजमा रहे हैं. तो आइये जानते हैं कैसे करें इसका पालन.

बटेर पालन के लिए जलवायु

भारत की जलवायु बटेर पालन के लिए काफी अनुकूल है. देश में सबसे ज्यादा इसका पालन बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में होता है. इसके पालन के लिए 10 डिग्री से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त माना जाता है. क्योंकि बहुत ज्यादा ठंड और गर्मी से इसके चूजे मर जाते हैं.

बटेर पालन के लाभ

बटेर के पालन में मुर्गी के पालन से कम लागत लगती है. वहीं यह 45 से 50 दिनों में बाजार में बिकने लायक हो जाती है. बटेर अंडे भी जल्द देती है. एक साल में बटेर 280 से अधिक अंडे देती है. इन्हें रखने के लिए भी बहुत कम जगह की जरुरत होती है. इसके अंडे और मांस काफी स्वादिष्ट और पौष्टिक होते हैं. इनके पालन से पशुपालकों की आय में भी वृद्धि होगी. 

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बटेर को रखने की जगह और उनका भोजन

बटेर को देसी मुर्गी की तरह पाला जा सकता है. इसके लिए आप खुली सेड बना सकते हैं. वहीं 10 फिट लंबी और 10 फीट चौड़ी जगह में 50 से 100 चूजों को आसानी से पाला जा सकता है. इसे पालने के लिए ग्रामीण परिवेश ज्यादा अच्छा होता है. इनके रहने वाले जगहों को हमेशा साफ करना चाहिए और अगर उनके आवास के पास हरे पेड़ हो तो वह सोने पर सुहागा है. उनके उत्पादन के लिए 2 से 2.5 किलो आहार की जरुरत होती है. उनको मुर्गियों के दाने वाले फीड भी खिला सकते हैं. एक बटेर को लगभग प्रतिदिन 20-35 ग्राम आहार की जरुरत होती है. वहीं उनको हमेशा ताजा पानी ही पिलाना चाहिए.

बटेर की नस्ल

पूरी दुनिया में बटेर के लगभग 18 नस्लें पाई जाती है. जिसमें जापानी बटेर भारत में सबसे अधिक पाला जाता है. मांस उत्पादन के मामले में बोल व्हाइट बटेर को अच्छा माना जाता है. व्हाइट बेस्टेड भारतीय प्रजाति का ब्रायलर बटेर है. इस नस्ल में भी मांस उत्पादकता अच्छी है. वहीं अधिक अंडा देने वाली नस्लों में ब्रिटिश रेंज, इंग्लिश व्हाइट, मंचूरियन गोलन, फिरौन और टक्सेडो आदि हैं.

कैसे लें बटेर पालन का प्रशिक्षण

भारत में पक्षियों के अनुसंधान के लिए बरेली के इज्जतनगर में केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान बनाया गया है. जहां बटेर पालन के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है और उसके बारे में अधिक जानकारी के लिए संस्थान से इस नंबर 18001805141 पर संपर्क कर सकते हैं. 

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