Goat Lamb: बकरी के बच्चों की मृत्यु दर कम करनी है तो अभी से शुरू कर दें तैयारी, पढ़ें डिटेल 

Goat Lamb: बकरी के बच्चों की मृत्यु दर कम करनी है तो अभी से शुरू कर दें तैयारी, पढ़ें डिटेल 

गोट एक्सपर्ट की मानें तो बकरी के बच्चों के जन्म का मैनेजमेंट करने के लिए यह कोई जरूरी नहीं है कि बकरी को गर्भवती कराने के लिए उसकी मीटिंग बकरे के साथ कराई जाए. आर्टिफिशल इंसेमीनेशन तकनीक से भी बकरी पशुपालक के मुताबिक गर्भवती हो सकती है. इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसकी मदद से आप अपनी पसंद और जरूरत के हिसाब से बच्चा पैदा करवा सकते हैं.

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Goat Lamb: बकरी के बच्चों की मृत्यु दर कम करनी है तो अभी से शुरू कर दें तैयारी, पढ़ें डिटेल ऐसे करें नवजात बकरी और गर्भवती बकरी की देखभाल

बाड़े में जितने ज्यादा बकरे-बकरियां होंगे तो मुनाफा भी उतना ही ज्यादा होगा. गोट एक्सपर्ट की मानें तो ये बकरी पालन का गुरुमंत्र है. और ये मुमकिन होता है बकरी के बच्चों की मृत्यु दर कम करने से. क्योंकि बकरी पालन का मुनाफा पूरी तरह से बकरी द्वारा दिए जाने वाले बच्चों पर ही निर्भर करता है. बकरा हो या बकरी अगर बच्चा दो से तीन महीने का है तो बाजार में उसके तीन से चार हजार रुपये आराम से मिल जाते हैं. आज दूध से ज्यादा मीट के लिए बकरी पालन किया जाता है. 

और कहीं अगर आपने एक साल तक बच्चे को पाल लिया तो फिर बकरा 15 से 20 हजार में और बकरी 12 से 15 हजार रुपये तक में आराम से बिक जाएगी. लेकिन इसके लिए जरूरी ये है कि बकरी के बच्चों की मृत्यु दर को कैसे कम और खत्म किया जाए. इसके लिए एनिमल एक्सपर्ट एक सबसे बढि़या तरीका बताते हैं बकरी को गाभि‍न कराने के वक्त का मैनेजमेंट किया जाए. 

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बकरी से बच्चा कब चाहिए इस तरह करें तैयारी 

गोट एक्सपर्ट राशि‍द का कहना है कि मौसम गर्मी का हो या सर्दी-बरसात का. अगर भीषण गर्मी और कड़ाके की सर्दियों में बकरी के बच्चे जन्म लेते हैं तो उनका बीमारियों की गिरफ्त में आना तय है. बरसात के मौसम में संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं. इसलिए बकरी के बच्चों का जन्म ऐसे वक्त में हो जब ना तो ज्यादा गर्मी हो और ना ही ज्यादा सर्दी. प्लान ऐसे बनाएं कि बरसात के मौसम में बकरी बच्चों को जन्म ना दे. इस सब के लिए जरूरी ये है कि हम बकरी को गाभि‍न कराने के लिए एक चॉर्ट तैयार कर लें. खासतौर से उन पशुपालकों के लिए इस तरह का चॉर्ट बनाना जरूरी है जो यूपी, एमपी, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और बिहार समेत उत्तर भारत के सभी राज्यों में बकरी पालन करते हैं. क्योंकि इन राज्यों में मौसम का सबसे ज्यादा उलटफेर देखा जाता है.   

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अप्रैल-जून और अक्टूबर-नवंबर में कराएं गाभिन 

राशि‍द बताते हैं कि बकरी को गाभि‍न कराने का सबसे सही वक्त है अप्रैल-जून और अक्टूबर-नवंबर. क्योंकि ऊपर बताए गए महीनों में बकरी को गाभि‍न कराने से वो ऐसे मौसम में बच्चा देगी जब ना तो ज्यादा गर्मी होगी और ना ही सर्दी. और जब तक मौसम पीक पर आएगा तो बच्चा बड़ा होकर बीमारियों से लड़ने लायक तैयार हो चुका होगा. इसलिए चॉर्ट के मुताबिक ये जरूरी है कि बकरी को 15 अप्रैल से 30 जून तक बकरी को गाभिन कराएं. वहीं उससे आगे की बात करें तो अक्टूबर और नवंबर में बकरी को गाभिन करा सकते हैं. ऐसा करने से जो बकरी अप्रैल से जून तक गाभिन हुई है वो अक्टूबर-नवंबर में बच्चा दे देगी. वहीं जो अक्टूबर-नवंबर में गाभिन हुई है वो फरवरी-मार्च में बच्चा देगी. एक्सपर्ट की मानंक तो बकरी पालन के लिहाज से यह वो महीने हैं जब बकरी के बच्चों को वजन तेजी से बढ़ता है.  
 

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