पोल्ट्री इंडिया एक्सपो में भी पोल्ट्री फीड को लेकर खूब चर्चा हो रही है. सबसे ज्यादा चर्चा फीड की महंगाई और कमी को लेकर है. इंडियन पोल्ट्री की गिनती दुनिया के बेहतरीन पोल्ट्री सेक्टर में होती है. भारत विश्व में अंडा उत्पादन में तीसरे तो चिकन में आठवें नंबर पर है. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो इंडियन पोल्ट्री का इंफ्रास्ट्रक्चर इतना मजबूत है कि कभी भी उत्पादन को जरूरत के हिसाब से बढ़ाया जा सकता है. लेकिन बीते कुछ वक्त से करीब तीन लाख करोड़ वाला पोल्ट्री सेक्टर फीड के बढ़ते दाम से जूझ रहा है. बीते डेढ़ से दो साल में ही पोल्ट्री फीड के दाम में 15 से 20 फीसद की बढ़ोतरी देखी जा रही है. इसका असर सबसे ज्यादा छोटे पोल्ट्री फार्मर पर हो रहा है.
बड़ी संख्या में पोल्ट्री फार्म बंद होने के कगार पर आ चुके हैं. इसी को देखते हुए कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) ने केन्द्र सरकार से जीएम मक्का आयात करने की अनुमति पोल्ट्री फीड सेक्टर से जुड़े लोगों को देने की सिफारिश की है. साथ ही साथ सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी हर संभव कदम उठाने की बात कही है. सीआईआई ने अपनी सिफारिशों में ये भी कहा है कि अगर पोल्ट्री सेक्टर को सहयोग मिले तो ये और तेजी से बढ़ सकता है.
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हरियाणा के पोल्ट्री फीड कारोबारी चरनजीत सिंह का कहना है कि ये कोई पहला मौका नहीं है जब सरकार से पोल्ट्री फीड में शामिल किसी उपज को आयात करने की अनुमति मांगी जा रही है. इससे पहले साल 2021 में पोल्ट्री फीड के लिए सोयाबीन का आयात किया जा चुका है. अगर सरकार मक्का और सोयाबीन के आयात की मंजूरी देती है तो पोल्ट्री फीड के बढ़ते दाम पर काफी हद अंकुश लगाया जा सकता है. फीड पोल्ट्री सेक्टर का अहम हिस्सा है. अगर ब्रॉयलर चिकन की ही बात करें तो 65 से 70 फीसद लागत तो फीड पर ही आती है.
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया, वैट इंडिया ऑफ पोल्ट्री, क्लेफमा समेत और भी पोल्ट्री से जुड़ी संस्थाएं लगातार पोल्ट्री फीड के संबंध में सरकार से गुहार लगा रही हैं. बारी-बारी से सभी संस्थाएं केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय को या तो चिठ्ठी लिख चुकी हैं या संबंधित मंत्री से मिल चुकी हैं. उनका अगर जल्द ही पोल्ट्री फीड में शामिल महंगे होते मक्का और सोयाबीन के रेट पर कंट्रोल नहीं किया गया तो ये पोल्ट्री सेक्टर को बड़ा नुकसान पहुंचाएंगे. क्योंकि फीड पर तो लगातार दाम बढ़ रहे हैं, लेकिन अंडे और चिकन के रेट में कोई खास अंतर नहीं आया है.
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